उज्जैन। नगर निगम ने दो करोड़ से ज्यादा खर्च कर भाजपा बोर्ड के पिछले कार्यकाल में रत्नाखेड़ी में कपिला गौशाला बनाई थी और दावा किया था कि इसके बाद शहर आवारा मवेशियों से मुक्त हो जाएगा। हकीकत यह है कि आज की तारीख में जितने मवेशी कपिला गौशाला में पकड़कर रखे गए हैं उससे 10 गुना ज्यादा मवेशी दिन रात शहर की सड़कों पर घूम रहे हैं और इससे पूरा शहर परेशान है। आवारा मवेशियों से परेशान शहरवासियों को राहत देने के नाम पर महापौर मुकेश टटवाल ने पहली बार दो दिन पहले पशु पालकों को बैठक के लिए बुलाया था। हालांकि इस बैठक में पशु पालकों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी देने के बजाए महापौर ने उनसे इस समस्या के निदान हेतु सुझाव मांगे।
हालांकि एमआईसी सदस्य शिवेन्द्र तिवारी द्वारा पशुपालकों को अपने मवेशी सड़कों पर छोडऩे पर नियमानुसार कार्रवाई की हिदायत जरूर दी गई थी। इस बैठक के बाद दावा किया जा रहा था कि इसका असर होगा और समस्या हल होने लगेगी। बैठक के तीन दिन बाद भी स्थिति पहले जैसी ही है। हालत यह है कि नागरिकों ने पौधारोपण अभियान को सफल बनाने के लिए आगर रोड एमआर-5 और देवास रोड की नई कॉलोनियों में रहवासियों ने मिलकर सैकड़ों पौधे लगाए हैं और उनकी देखभाल कर रहे हैं, लेकिन मवेशियों के झुंड कॉलोनियों में जाकर लगाए गए पौधों को उजाड़ रहे हैं। शहर की ऐसी कोई सड़क शेष नहीं रह गई जहां मवेशियों के झुंड न हो। इधर नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि कपिला गौशाला में मवेशी रखने की क्षमता 700 है। जबकि वर्तमान में यहां 850 से ज्यादा मवेशी हैं। इधर शहर में इससे 10 गुना अधिक मवेशी अभी भी सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं।