पलक्कड़: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जातीय जनगणना को लेकर अहम बयान देते हुए सोमवार (02 अगस्त) को कहा कि जातिगत जनगणना को सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए नहीं करवाया जाए. आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि हिंदू धर्म में जाति संवेदनशील मामला है. चुनाव से ऊपर उठकर इस पर विचार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी की प्रगति के लिए जरूरी हो तो जाति जनगणना हो. सिर्फ चुनावी लाभ हासिल करने के लिए जातीय जनगणना नहीं हो.
पलक्कड़ जिले में तीन दिवसीय समन्वय बैठक के पहले दिन मीडिया को संबोधित करते हुए आरएसएस ने कहा, “जातीय जनगणना बेहद संवेदनशील विषय है. इससे समाज की एकता और अखंडता को खतरा है. पंच परिवर्तन में इसको लेकर चर्चा की गई. हम बड़े पैमाने पर समरसता को लेकर काम करेंगे. हमारे समाज में जातिगत प्रतिक्रियाओं का मुद्दा संवेदनशील है और ये राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन जातिगतण जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए और खासतौर पर दलित समाज की संख्या जानने के लिए सरकार उनकी संख्या की गणना कर सकती है.”
आरएसएस के इस बयान को लेकर कांग्रेस पार्टी ने कहा, “आरएसएस ने जातिगत जनगणना का खुलकर विरोध कर दिया है. उसका कहना है कि जातिगत जनगणना समाज के लिए सही नहीं है. इस बयान से साफ है कि बीजेपी और आरएसएस जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते. वे दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनका हक नहीं देना चाहते. लेकिन लिखकर रख लीजिए- जातिगत जनगणना होगी और कांग्रेस ये कराएगी.”
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved