नई दिल्ली (New Delhi)। बिहार सरकार (Bihar Government) ने जब से जातिगत जनगणना (Caste census) के आंकड़े जारी किए हैं, पटना से लेकर दिल्ली तक सियासी तपिश बढ़ (Political heat increased) गई है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले जातिगत जनगणना के दांव को कोई नीतीश कुमार (Nitish Kumar ) और विपक्ष (opposition) का मास्टरस्ट्रोक (Masterstroke) बता रहा है तो कोई सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए मुश्किलों का सबब. जातिगत जनगणना के आंकड़ों पर जारी बहस के बीच इसे लेकर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने पत्ते खोल दिए हैं।
पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में जातिगत जनगणना का नाम लिए बिना कांग्रेस पर हमला बोला. पीएम मोदी ने जातिगत जनगणना की काट के लिए इंदिरा का कार्ड खेल दिया और हिंदुओं के हक की बात भी कर दी. पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने कल से एक अलग राग अलापना शुरू कर दिया है. ये कहते हैं जितनी आबादी, उतना हक. मैं कहता हूं इस देश में अगर सबसे बड़ी कोई आबादी है तो वह गरीब है।
उन्होंने कहा कि गरीब कल्याण ही मेरा मकसद है. ओबीसी अस्मिता को धार देने की विपक्षी रणनीति से निपटने के लिए पीएम मोदी ने वही गरीब कार्ड चल दिया जिसे कभी इंदिरा गांधी ने भी चला था. इंदिरा गांधी ने 1971 के आम चुनाव में गरीबी हटाओ का नारा दिया था. कांग्रेस से निकाले जाने के बाद इंदिरा गांधी ने साल 1969 में नई पार्टी बना ली थी जिसका नाम था कांग्रेस (आर). इंदिरा के नई पार्टी बनाने के बाद ये पहला चुनाव था और कांग्रेस के दोनों धड़ों में कांटे का मुकाबला माना जा रहा था।
जब इंदिरा ने दिया था गरीबी हटाओ का नारा
एस निंजलिगप्पा के नेतृत्व वाली कांग्रेस (ओ) में सिंडिकेट के मोरारजी देसाई और कामराज जैसे नेता थे. कांग्रेस (ओ) ने तब चुनाव में इंदिरा हटाओ का नारा दिया था. कांग्रेस (ओ) के इंदिरा हटाओ नारे की काट में कांग्रेस (आर) ने गरीबी हटाओ का नारा दिया. तब इंदिरा गांधी ने कहा था कि ये इंदिरा को हटाने की बात करते हैं और मैं गरीबी हटाने की बात करती हूं. फैसला जनता को करना है. नतीजे आए तो इंदिरा गांधी की पार्टी 545 में से 352 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रही।
हिंदुओं के हक की बात के पीछे क्या रणनीति
जगदलपुर की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और बात कही. पीएम मोदी ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि हिंदुओं की संख्या अधिक है तो हिंदू अपना हक ले लें क्या? पीएम मोदी ने एक तरफ गरीब की बात की और उसे सबसे बड़ी जाति बताया तो दूसरी तरफ हिंदू और अल्पसंख्यकों की भी बात कर दी. पीएम के इन बयानों के मीन-मेख निकाले जाने लगे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या पीएम मोदी का इंदिरा वाला गरीब कार्ड और हिंदू-अल्पसंख्यकों की बात विपक्षी दांव की काट कर पाएगा?
दरअसल, बीजेपी को 2014 और 2019 के आम चुनाव में बड़ी जीत मिली. पार्टी ने उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में 2017 और 2022 में लगातार दो बार विधानसभा चुनाव में स्पष्ट जनादेश के साथ सरकार बनाई. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि बीजेपी की इस जीत के पीछे सबसे बड़ा फैक्टर था मतदाताओं का जाति की भावना से ऊपर उठकर हिंदुत्व और विकास के नाम पर वोट करना. बीजेपी पिछले 10 साल में हिंदू वोट बैंक के रूप में जातीय समीकरणों से हटकर एक नया बनाने में सफल रही है. बीजेपी ने एक और नया वोट बैंक तैयार किया है- सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का।
बीजेपी के इस नए लाभार्थी वोट बैंक में उज्ज्वला, फ्री राशन, जनधन, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं के लाभार्थी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से जातिगत जनगणना का नाम लिए बिना जिसकी जितनी हिस्सेदारी का जिक्र किया और कांग्रेस पर निशाना साधा, उसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि बीजेपी जातीय जनगणना के दांव की काट के लिए हिंदुत्व और वेलफेयर की राह पर बढ़ेगी।
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