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    कोरोना महामारी के दौरान बढ़े यौन हिंसा के मामले: संयुक्त राष्ट्र

  • April 15, 2021

    यूएन। कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण पिछले वर्ष लिंग आधारित हिंसा (Gender based Violence) में बढ़ोतरी देखी गई और कई देशों में यौन हिंसा (Sexual Violence) को ‘युद्ध का क्रूर तरीका’ और ‘राजनीतिक दमन’ के तौर पर इस्तेमाल किया गया। यह बात संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंतोनियो गुतारेस (UN chief Antonio Gutares) ने एक रिपोर्ट जारी कर कही। रिपोर्ट में 18 देशों का जिक्र है जहां के बारे में संयुक्त राष्ट्र(UN) का कहना है कि उसे सत्यापित सूचना प्राप्त हुई। इसमें 52 पक्षों का जिक्र है जिन पर हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में ‘दुष्कर्म या यौन हिंसा के अन्य प्रारूप’ का इस्तेमाल करने का ठोस संदेह है। इसमें कहा गया है कि 70 फीसदी से अधिक सूचीबद्ध पक्ष सतत षड्यंत्रकारी हैं। इस काली सूची में शामिल अधिकांश पक्ष ‘राज्येतर तत्व’ हैं, जिनमें इस्लामिक स्टेट या अल-कायदा आतंकी संगठनों से जुड़े चरमपंथी समूह, बागी या विपक्षी शामिल हैं।



    उल्लेखनीय है कि इस काली सूची में शामिल राष्ट्रीय सेना अथवा पुलिस बलों को तब तक संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में शामिल होने से रोक दिया गया है जब तक कि वे हिंसा खत्म करने के लिए समयबद्ध प्रतिबद्धताएं नहीं अपनाते हैं। इसमें म्यांमा की सेना और सीमावर्ती गार्ड शामिल हैं।
    बता दें कि इस सूची में कांगो और दक्षिण सूडान की सरकार और पुलिस बल; सीरिया में सरकारी बल और खुफिया सेवाएं; सूडान में सशस्त्र बल और त्वरित समर्थन बल, सोमाली में सेना और पुलिस और पुंटलैंड क्षेत्र के सुरक्षा बल शामिल हैं। इसके साथ ही राज्येतर तत्वों वाले देशों में कांगो के 20 समूह; सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक के छह समूह; माली के पांच समूह; दक्षिण सूडान और सीरिया के चार-चार समूह; सूडान के दो समूह और इराक व सोमालिया के एक-एक समूह शामिल हैं।

    युद्ध के तरीके की तरह हुआ यौन हिंसा का इस्तेमाल
    संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा, ‘यौन हिंसा को युद्ध की युक्ति के तौर पर इस्तेमाल किया गया, उत्पीड़न और आतंकवाद के जरिए मानवाधिकारों और सुरक्षा को खतरा पैदा किया गया तथा सैन्यीकरण व हथियारों का अंधाधुंध इस्तेमाल हुआ।’ गुतारेस ने कहा कि इथियोपिया के टीगरे क्षेत्र में नवंबर में सरकार और टीगरे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट के बीच संघर्ष छिड़ गया जिसमें 100 से अधिक दुष्कर्म के मामलों के घटित होने के आरोप हैं।

    म्यांमार के जातीय संघर्ष में भी यौन हिंसा की खबरें
    गुतारेस ने कहा कि म्यांमार के सशस्त्र जातीय संघर्ष में भी यौन हिंसा की खबरें हैं। उन्होंने राखाइन, चिन और शान राज्यों में तातामडाव सुरक्षा बलों ओर जातीय बागी समूहों के यौन हिंसा में लिप्त होने की बात कही। रिपोर्ट में 2020 की घटनाएं शामिल हैं जो दो फरवरी को म्यांमाक की सत्ता में सेना के काबिज होने से पहले की हैं।

    कोरोना की पाबंदियों ने बढ़ाया यौन हिंसा का खतरा
    महासचिव ने कहा कि कोविड-19 महामारी से जुड़ी आवाजाही की पाबंदियों एवं सीमित आर्थिक अवसर के कारण भी महिलाओं की तस्करी एवं यौन हिंसा का खतरा बढ़ा। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण इराक, सीरिया और यमन में बाल विवाह की घटनाएं बढ़ीं। गुतारेस ने कहा कि पश्चिमी अफ्रीकी देश कैमरून में फरवरी 2020 में अलगाववादियों के खिलाफ सेना के अभियान के दौरान 24 महिलाओं से दुष्कर्म हुआ और इस घटना का जुलाई तक खुलासा नहीं हुआ था।
    उन्होंने कहा, ‘बुरूंडी में विपक्षी दलों की महिलाओं को चुनाव के दौरान धमकाया गया और मनमाने तरीके से हिरासत में रखा गया।’ महासचिव ने कहा कि इसी तरह सूडान में किसानों और गड़ेरियों के बीच संघर्ष के दौरान दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की घटनाएं हुईं। गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आग्रह किया कि सुनिश्चित करें कि यौन हिंसा पीड़ितों का सहयोग एवं पुनर्वास किया जा सके।

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