नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) का एक भूमि अधिग्रहण (Land acquisition)से संबंधित फैसला पलट (Decision overturned)दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के तुरंत बाद कोई प्राइवेट डील करके इस अधिग्रहण को रद्द नहीं किया जा सकता है। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा कि इस मामले में जो तथ्य सामने आए हैं, वे हैरान करने वाले हैं। इस मामले में कृषि विपणन बोर्ड ने अनाज मंडी के लिए अधिग्रहित भूमि का आधा हिस्सा तुरंत वापस करने का फैसला किया था।
बेंच ने कहा, अगर सरकार अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए सार्वजनिक हित के लिए भूमि का अधिग्रहणम करती है तो इसके तुरंत बाद कोई प्राइवेट डील करके पूरे समझौते को रद्द नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि थर्ड पार्टी के अधिकार का हवाला देकर तुरंत भूमि को वापस करना गलत है। ऐसे में जनता के हित के कामों में बाधा आएगी।
बता दें कि हाइवे समेत अन्य सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण में थर्ड पार्टी राइट्स कई बार रोड़ा बन जाते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भूमि अधिग्रहण में सरकार को सुविधा हो सकती है। बता दें कि दिल्ली में अनाज मंडी के लिए नरेला-बवाना रोड पर भूमि का अधिग्रहण होना था। 1963 में इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसके बाद 1986 में मुआवजे की रकम जारी की गई। तभी एक महिला ने भूमि के एक भाग पर दावा कर दिया।
इसके बाद बोर्ड के चेयरमैन ने प्राइवेड डील करने की कोशिश की। उन्होंने आधी जमीन को वापस करने का फैसला किया और बाकी आधे का मुआवजा देने का भी फैसला किया गयाआ। चेयरमैन के रिटायर होने के बाद इस फैसले को लेकर बोर्ड में विवाद हो गया। मामला हाई कोर्ट पहुंच गया तो हाई कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि महिला को भूमि वापस करना होगा।
बेंच ने कहा, इस तरह से प्राइवेट डील करके उन लोगों को बढ़ावा मिलेगा जो फ्रॉड करना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि 1988 का यह समझौता कानून का उल्लंघन था। उस समय समझौते का एक मात्र उद्देश्य भगवान देवी नाम की महिला को अधिग्रहण का अहम हिस्सा लौटाकर इस पूरे समझौते को ही विफल कर देना था।
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