इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हिन्दुओं के मंदिर पर हमला करने और उसे नुकसान पहुंचाने के मामले में भारत सरकार के प्रेशर का इमरान सरकार पर असर दिख रहा है। भारत सरकार के सख्त ऐतराज और पाक सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पाकिस्तान की पुलिस हरकत में नजर आ रही है। पंजाब प्रांत की पुलिस ने शनिवार को कहा कि हिंदू मंदिर पर हमले में शामिल 20 लोगों को गिरफ्तार किया है और 150 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इतना ही नहीं, पुलिस ने बताया कि मंदिर के जीर्णोद्धार का काम भी शुरू हो गया है।
दरअसल, मंदिर पर अटैक मामले में पुलिस की यह कार्रवाई उस फटकार के बाद आई है, जिसमें पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हमले को रोकने में विफल रहने के लिए अधिकारियों की खिंचाई की थी और दोषियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा कि इस घटना ने विदेश में मुल्क की छवि खराब की है।
सीसीटीवी से हो रही दोषियों की पहचान
जिला पुलिस अधिकारी रहीम यार खान असद सरफराज ने संवाददाताओं से कहा कि हमने अब तक भोंग में मंदिर पर हमला करने में कथित रूप से शामिल 20 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है, क्योंकि पुलिस वीडियो फुटेज के जरिए संदिग्धों की पहचान कर रही है।
उन्होंने कहा कि मंदिर पर हमला करने में शामिल होने के लिए 150 से अधिक लोगों के खिलाफ आतंकवाद और पाकिस्तान दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि हम इस अपराध में शामिल हर संदिग्ध को गिरफ्तार करेंगे। शीर्ष अदालत के आदेश पर मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया गया है।
कोर्ट ने ऐसे लगाई फटकार
मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने इस्लामाबाद में मामले पर सुनवाई की थी। उन्होंने गुरुवार को हमले का संज्ञान लिया था। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान हिंदू परिषद के संरक्षक प्रमुख डॉ. रमेश कुमार के मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात करने के बाद मामले पर स्वत: संज्ञान लिया। मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) इनाम गनी से पूछा, ‘प्रशासन और पुलिस क्या कर रही थी, जब मंदिर पर हमला किया गया? उन्होंने कहा कि इस हमले से दुनियाभर में पाकिस्तान की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है।’
गनी ने कहा कि कि प्रशासन की प्राथमिकता मंदिर के आसपास 70 हिंदुओं के घरों की रक्षा करने की थी। उन्होंने बताया कि सहायक आयुक्त और सहायक पुलिस अधीक्षक घटनास्थल पर मौजूद थे। मुख्य न्यायाधीश इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा, ”अगर आयुक्त, उपायुक्त और जिला पुलिस अधिकारी काम नहीं कर सकते तो उन्हें हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि पुलिस ने मूकदर्शक बनने के बजाय कुछ नहीं किया और यह भी नहीं सोचा कि इससे विदेशों में देश की छवि खराब होगी।
भारत ने जताया था विरोध
भारत ने गुरुवार को नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी को तलब किया था और इस घटना को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था। पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। आधिकारिक अनुमान के अनुसार पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू रहते हैं। हालांकि, समुदाय के मुताबिक देश में 90 लाख से अधिक हिंदू रहते हैं।
क्या है मामला
गौरतलब है कि पंजाब प्रांत के रहीमयार खान जिले में भोंग इलाके में लाठी, पत्थर और ईंट लिए सैकड़ों लोगों ने एक मंदिर पर हमला किया था, उसके कुछ हिस्सों को जलाया और मूर्तियां खंडित कीं। रिपोर्ट में कहा गया कि उन्होंने एक स्थानीय पाठशाला में कथित तौर पर पेशाब करने के लिए गिरफ्तार किए गए नौ वर्षीय हिंदू लड़के को एक अदालत द्वारा रिहा करने के विरोध में मंदिर पर हमला किया था।
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