उज्जैन। अप्रैल माह में जब दूसरी लहर पीक पर थी तब कुछ अस्पताल के कर्मचारी रेमडिसिविर इंजेक्शन बेच रहे थे। वहीं उस दौरान शहर के एक वकील के पुत्र की भी कोरोना उपचार के दौरान होम्योपैथी पद्धति से उपचार करने पर उसकी जान चली गई थी। 21 अप्रैल को हुई मरीज की मौत के मामल में सीएमएचओ की पैनल द्वारा पेश की जाँॅच रिपोर्ट के आधार पर नीलगंगा थाना पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। थाना प्रभारी तरुण कुरील ने बताया कि उक्त दोनों आरोपी अस्पताल के डायरेक्टर श्रीपाद देशमुख और डॉ. सुरेश शर्मा हैं।
डॉ. सुरेश शर्मा द्वारा देवेन्द्र पिता महेन्द्र जैन एडवोकेट का ऐलोपैथी पद्धति से उपचार किया गया, जबकि डिग्री होम्योपैथी की थी, इसके बावजूद उक्त डॉक्टर कोविड आईसीयू आइसोलेशन वार्ड में इलाज करता रहा और 21 अप्रैल को मरीज की मृत्यु हो गई। गौरतलब है कि इसी अस्पताल में कोरोना वार्ड में जिन वार्ड बाय की ड्यूटी लगी थीं, उन्हें चिमनगंज पुलिस ने रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए गिरफ्तार किया था। सिविल सर्जन ने कहा कि डॉक्टर और संचालक के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के बाद अब अस्पताल के खिलाफ जाँच की जा रही है और उसे सील किया जाएगा।
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