नई दिल्ली (New Delhi)। कानून (Law)के अनुसार, मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी (arrest in civil cases)और हिरासत से छूट (Discount)मिली हुई है, लेकिन आपराधिक मामलों (criminal cases)में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी (arrest)हो सकती है। भारत के राष्ट्रपति और राज्यपाल एकमात्र संवैधानिक पद धारक हैं, जिनको अपना कार्यकाल समाप्त होने तक सिविल और आपराधिक कार्यवाही में गिरफ्तारी से छूट है। संविधान के अनुच्छेद 361 में कहा गया है कि भारत के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल अपने पद पर रहते समय किसी भी कार्य के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। लेकिन, यह छूट प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य को नहीं मिली है।
गिरफ्तारी से पहले लेनी होगी अनुमति
कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट दी गई है, लेकिन आपराधिक मामलों में ऐसा नहीं है। हालांकि, आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से पहले सदन के अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती है। जिसका मतलब साफ है कि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है।
नेताओं के लिए रोक नहीं
कानून के अनुसार, जब कोई सरकारी अधिकारी जेल जाने की स्थिति में रहता है तो उसे निलंबित कर सकते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं पर कानूनी रूप से ऐसी कोई रोक नहीं है। हालांकि, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है। अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं तो राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं। वहीं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में कुछ अपराधों के लिए अयोग्यता के प्रावधान हैं, लेकिन पद संभालने वाले किसी भी व्यक्ति को सजा मिलना अनिवार्य है, तभी वह अयोग्य होगा।
पहले में कौन-कौन हो चुका है गिरफ्तार
● चारा घोटाले में सीबीआई की चार्जशीट में लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्होंने 1997 में पद से इस्तीफा दे दिया था और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थीं। इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी हुई थी।
● जयललिता साल 2014 में आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराई गई थीं और उनको चार साल की सजा हुई थी। इसके बाद खुद ही वो मुख्यमंत्री पद के अयोग्य हो गई थीं। फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि, मामले की जांच जब तक चली थी, वह मुख्यमंत्री पद पर बनी रही थीं। इस दौरान पनीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री का पद संभाला था।
● साल 2011 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था और कुछ वक्त बाद फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
जब तक दोषी नहीं, तब तक रह सकते हैं सीएम
कानून के अनुसार, किसी मुख्यमंत्री को केवल तभी अयोग्य ठहराया जा सकता है या पद से हटा सकते हैं, जब वह किसी मामले में दोषी ठहराया जाता है। अरविंद केजरीवाल के मामले में अभी तक उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। इसके अलावा, सिर्फ गिरफ्तारी होने से वे मुख्यमंत्री के लिए अयोग्य नहीं हो सकते।
सिर्फ दो स्थितियों में पद से हट सकते हैं मुख्यमंत्री
1. विधानसभा में बहुमत का समर्थन खोना
2. सत्ता में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होना
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