उज्जैन। अधिकारियों द्वारा कमीशन के चक्कर में सीमेंट कांक्रीट के कार्य कराए जाते हैं और इस जल्दबाजी वे यह भूल जाते हैं कि करोड़ों रुपए जनता का पैसा जो खर्च किया जा रहा है वो जनहित में रहेगा या नहीं..ऐसा ही एक उदाहरण हरिफाटक पुल के नीचे जिला पंचायत द्वारा बनाया गया हाट बाजार परिसर है। यहाँ गाजर घास उग आई है..! जिला पंचायत ने सिंहस्थ से पहले 5 करोड़ रुपए खर्च कर नीलगंगा क्षेत्र में हरिफाटक ब्रिज के नीेचे संभागीय हाट बनाया था, यहां दुकानों के साथ आकर्षक डेकोरेटिंग व्यवस्था की गई थी। इसे बनाने का उद्देश्य था कि हस्तशिल्प मेले, स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा बनाए गए सामान व स्थानीय कलाकृति के लिए एक बाजार उपलब्ध हो, जहां शहरवासी सहित बाहर से आने वाले यात्री भी खरीदारी कर सके, बीते सालों में यह हाट सुचारु रूप से संचालित ही नहीं हो पाया है। वर्तमान में देखरेख की कमी की वजह से पूरा क्षेत्र वीरान हो रहा है,पूरे क्षेत्र में जगह जगह जंगली झाडिय़ां हो रही है, जहां तहां टूटा फूटा समान बिखरा पड़ा है।
हस्तशिल्प व स्वयं सेवी संस्थाओं की ओर से बनाए जाने वाली सामग्री को प्रमोट करने तथा इनके लिए एक स्थायी बाजार की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए बनाए गए संभागीय हाट बाजार में स्थायी दुकानें संचालित करने के लिए जिला पंचायत ने टेंडर, निकाले लेकिन एक भी व्यापारी ने इसमें रुचि नहीं ली। दरअसल व्यापारियों का कहना है कि हाट एक तरफ बनाया गया है, जहां लोग खरीदारी करने नहीं आते हैं। लिहाजा हाट सिर्फ शो-पीस बनकर रह गया है और इक्का-दुक्का कार्यक्रम ही आयोजि हो रहे हैं। जिला पंचायत ने बाजार में नियमिति दुकानें खुलने के लिए यहां कि 30 दुकानों को किराए पर देने के लिए टेंडर निकाले थे,लेकिन स्थिति यह रही कि एक भी दुकान के लिए टेंडर नहीं आया।
फूड जोन व छह दुकानों का टेंडर भी निरस्त
जिला पंचायत की ओर से कुछ माह पूर्व फूड जोन की छह दुकानें, ओपन एरिया व प्ले जोन का ठेका 4.5 लाख रुपए में स्वीकृत किया था लेकिन कुछ समय ठेकेदार ने इसे संचालित किया बाद में उसने भी दूरी बना ली, लिहाजा उसका टेंडर भी निरस्त कर दिया गया,अब यहां भी दोबारा से टेंडर करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बहरहाल शहर में करोड़ों रुपये लगाकर हाट बाजार बनाया तो गया लेकिन योजनाओं में दूर दृष्टि से समुचित व्यवस्था का मसौदा तैयार नहीं किया गया। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न लग जाता है, जिसके चलते करोड़ों की लागत से बना हाट बाजार खंडहर में तब्दील हो रहा है।
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