नई दिल्ली। भारत सरकार कार की सेफ्टी की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इस समय यूरोपियन एनकैप, ग्लोबल एनकैप द्वारा भारतीय गाड़ियों को सेफ्टी रेटिंग दी जाती है। क्योंकि, देश में कार क्रैश टेस्ट के लिए जो इक्यूपमेंट विदेशों से आते हैं उसके लिए भारी कस्टम ड्यूटी दी जाती थी। लेकिन कस्टम ड्यूटी खत्म होने के बाद अब भारत में बड़े पैमाने पर कार क्रैश टेस्ट होगा।
भारत में कार क्रैश टेस्ट के लिए विदेशों से भी भारी मात्रा में गाड़ियां आने की उम्मीद है। भारत में कार टेस्ट करने पर 252 फीसद कस्टम ड्यूटी लगती थी। जिसे अब घटा कर जीरो कर दिया गया है। इससे आने वाले समय में देश में कार की टेस्टिंग अधिक से अधिक होगी और इसके लिए मैन्यूफैक्चरर्स विदेशों पर निर्भर भी नहीं रहेंगे।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि भारत में कार परीक्षण के लिए सीमा शुल्क खत्म करने से देश कार परीक्षण के वैश्विक कारोबार में पहुंच जाएगा। पहले अगर कोई विदेशी कार कंपनी अपनी कार को अंतरराष्ट्रीय मानकों के सुरक्षा परीक्षण के लिए भारत भेजना चाहती थी तो उस पर 252 प्रतिशत सीमा शुल्क लगता था, लेकिन केंद्रीय बजट 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सीमा शुल्क को शून्य कर दिया।
जिससे अंतर्राष्ट्रीय मानक पर कार सुरक्षा परीक्षण में भारत प्रतिस्पर्धा में आ जाएगा। जीरो कस्टम ड्यूटी 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होगी। वर्तमान में केवल 5 देशों में अंतरराष्ट्रीय मानकों की कार सुरक्षा परीक्षण सुविधाएं हैं। यूनाइटेड किंगडम में 2 परीक्षण सुविधाएं हैं। जर्मनी, जापान, चीन और ताइवान कार परीक्षण सुविधा वाले 5 अन्य देशों में शामिल हैं। अब भारत छठा वैश्विक कार परीक्षण केंद्र बन गया है।
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