नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने मंगलवार को कहा कि उचित प्रक्रिया व कानून के बिना (without due process and law) किसी को भी उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी (Justice Dinesh Maheshwari) और जस्टिस विक्रम नाथ (Justice Vikram Nath) की पीठ ने कहा, संविधान का अनुच्छेद-300ए भले ही मौलिक अधिकार नहीं है लेकिन इसे सांविधानिक या वैधानिक अधिकार का दर्जा प्राप्त है।
इसके अनुसार कानून के बिना किसी भी नागरिक को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा, किसी को उसकी संपत्ति से कई तरीकों से वंचित किया जा सकता है जैसे अधिग्रहण, दान या हस्तांतरण अथवा अन्य उचित प्रक्रिया के जरिए।
शीर्ष अदालत ने कल्याणी के कानूनी प्रतिनिधियों द्वारा केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एक अपील को स्वीकार करते हुए ये बातें कहीं। हाईकोर्ट ने सुल्तान बाथेरी नगर पालिका द्वारा सड़क को चौड़ा करने के लिए उनकी 1.7 हेक्टेयर भूमि को लेने के एवज में मुआवजे के उनके दावों को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने पंचायत के इस तर्क पर भरोसा किया था कि उन्होंने स्वेच्छा से अपनी जमीन दान कर दी थी।
पीठ ने कहा, अपीलकर्ता किसान हैं और उपयोग की गई भूमि कृषि भूमि है। यह उनकी आजीविका का हिस्सा था। कानून के अधिकार के बिना उन्हें उनकी आजीविका और उनकी संपत्ति के हिस्से से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद-21 और अनुच्छेद-300 ए का उल्लंघन है। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले की दरकिनार करते हुए एकल पीठ के फैसले को बहाल कर दिया। एकल पीठ ने पंचायत, जिसे नगरपालिका में परिवर्तित कर दिया गया था, को संपत्ति के बाजार मूल्य का पता लगाने के बाद कलेक्टर द्वारा निर्धारित राशि किसानों को देने कानिर्देश दिया था।
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