भोपाल। विधानसभा उपचुनाव में मात खा चुकी कांग्रेस ने अब नगरीय निकाय चुनाव में नजरें जमा ली हैं। भले ही अभी निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन कांग्रेस ने तैयारियां शुरु कर दी हैं। 15 महीने में ही सरकार गिरने की टीस झेल रही कांग्रेस अब ये गलती नहीं करना चाहती। यानी दूध से जली कांग्रेस अब छाछ को भी फंूक-फूंक कर पी रही है। पार्टी ने निकाय चुनाव में टिकट के लिए कुछ आधार तय किए हैं। उम्मीदवारी का सबसे बड़ा आधार कार्यकर्ता का पार्टी के प्रति समर्पण होगा। इसके बाद उसका पिछले तीन चुनावों में काम देखा जाएगा। पार्षद से लेकर नगरपालिका अध्यक्ष और महापौर के टिकट के दावेदारों का रिपोर्ट कार्ड जिला कांग्रेस कमेटी बनाएगी। जिला कमेटी के हिस्से में ही पार्षदों के टिकट की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। जिला और नगर की कमेटी टिकट के दावेदारों का पिछला रिकॉर्ड देखेगी। साल 2013 के विधानसभा चुनाव, 2018 के विधानसभा चुनाव और 2020 के विधानसभा उपचुनावों में कार्यकर्ता का परफॉर्मेंस देखा जाएगा। इसके अलावा सबसे जरुरी होगा इन सालों में उसका पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण का भाव। क्या कार्यकर्ता का कामकाज भाजपा नेताओं से मिलकर चलता है। इन तीन चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई है। इन सालों में विपक्ष में रहने के बाद भी क्या कार्यकर्ता पार्टी के साथ खड़ा होकर भाजपा सरकार का जोरदार विरोध करता रहा है। इन बिंदुओं के आधार पर ही टिकट के दावेदारों की कुंडली बनाई जाएगी और उसकी आधार पर टिकट दिया जाएगा।
महापौर का टिकट तय होगा प्रदेश में
प्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर समेत 16 नगर निगम हैं। यहां पर महापौर का चुनाव भी लोकसभा चुनाव के बराबर माना जाता है। एक नगर निगम में चार से छह विधानसभा सीट आती हैं। इसीलिए महापौर के उम्मीदवार का चयन प्रदेश स्तर पर किया जाएगा। पिछले चुनाव में भाजपा ने सभी 16 नगर निगमों में अपने महापौर बनाए थे। अब कांग्रेस की कोशिश इन नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर बनाना है। इसके अलावा नगरपालिका अध्यक्ष के लिए भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी ही अंतिम मुहर लगाएगी।
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