नई दिल्ली। शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक ही होता है, ये तो डॉक्टर भी हमेशा से कहते आए हैं। उनका मानना है कि शराब का ज्यादा सेवन प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है और इसके चलते निमोनिया और टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा इससे एचआईवी और दूसरी संक्रमित बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है और गर्भावस्था में शराब पीने से शिशु का विकास भी प्रभावित होता है।
अब एक नए अध्ययन में यह पाया गया है कि शराब के सेवन से कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन के मुताबिक, साल 2020 में शराब पीने की वजह से कैंसर के साढ़े सात लाख से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं। अमेरिका के लोगों को इस दौरान अधिक मात्रा में शराब का सेवन करते देखा गया है। शराब और कैंसर के बीच के संबंध को दर्शाने वाले इस अध्ययन को लैंसेट ओंकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
अध्ययन के मुताबिक, साल 2020 में कैंसर के जितने भी मामले सामने आए, उसमें से चार फीसदी मामले सिर्फ अल्कोहल के कारण बढ़े हैं। हालांकि जिन लोगों में एक दिन में दो से ज्यादा ड्रिंक लिए हैं, उनमें शराब के सेवन से कैंसर के अधिकांश मामले देख गए हैं।
अध्ययन के मुताबिक, शराब का उपयोग कैंसर सहित चोटों और बीमारियों की एक विस्तृत श्रृंखला से जुड़ा हुआ है और यह बीमारी के वैश्विक बोझ के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों का सेवन मुख्य रूप से ऊपरी वायु-पाचन पथ (ओरल कैविटी, स्वरयंत्र और अन्नप्रणाली) के कैंसर और कोलन, मलाशय, लिवर और महिलाओं में स्तन के कैंसर से जुड़ा हुआ है।
साल 2019 की एक सरकारी रिपोर्ट कहती है कि भारत में एक-तिहाई पुरुष शराब पीते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 75 साल की उम्र के बीच के 14 फीसदी से अधिक भारतीय शराब का सेवन करते हैं। वही, विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 11 फीसदी भारतीय शराब पीते हैं। चिंता वाली बात यह है कि अधिकतर लोग नकली या देशी शराब पीते हैं, जो और अधिक नुकसानदेह साबित होती है।
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