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    दिल्ली ,बनारस के कैंसर मरीज भी आ रहे इंदौर के आयुर्वेद कॉलेज में इलाज कराने

  • April 02, 2024

    • कैंसर के मरीजो का आयुर्वेदिक इलाज पर लगातार बढ़ रहा है भरोसा
    • 4 साल में सात गुना बढ़ गए आयुर्वेद से इलाज कराने वाले मरीजो के आंकड़े

    इंदौर, प्रदीप मिश्रा। कैंसर बीमारी से पीडि़त मरीजों का भरोसा लगातार आयुर्वेदिक इलाज के प्रति हर साल बढ़ता जा रहा है । साल 2020 में शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलज में इलाज कराने वाले कैंसर मरीजों की संख्या जहां सिर्फ 73 थी, वहीं पिछले साल 2023 तक यह संख्या बढक़र 526 हो गई। इस साल अभी तक लगभग 100 नए मरीज कैंसर का इलाज करा रहे हैं। इंदौर में आयुर्वेदिक पद्धति से कैंसर का इलाज कराने वाले मरीजों का भरोसा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि यहां पर इलाज कराने वाले अथवा इलाज करा चुके मरीजों से उनके अनुभव सुनकर दिल्ली, बनारस, जयपुर सहित अन्य प्रदेशों के मरीज भी इलाज कराने आ रहे हैं। पिछले लगभग 4 सालों में 1000 से ज्यादा हर प्रकार के कैंसर मरीज इलाज कराने आ चुके हैं।

    इसलिए बढ़ रहा है विश्वास
    कैंसर के मरीजों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। अकेले इंदौर में ही शासकीय और निजी अस्पतालों में लगभग 10 हजार मरीज हर साल इलाज कराने आते हैं। एलोपैथिक पद्धति के अंतर्गत मरीजों की कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी, इम्यूनोथैरेपी, सर्जरी एवं अनेक प्रकार की अन्य चिकित्सा के चलते मरीजों में साइड इफेक्ट बहुत खतरनाक हो रहे हैं। काफी दिनों तक इलाज कराने के बाद भी कैंसर के फैलने की संभावना बनी रहती है। कैंसर के उपचार के दौरान होने वाले घाव नहीं भरते हैं तथा मरीजों को कीमोथैरेपी एवं रेडियोथैरेपी के अनेक नुकसान सामने दिखाई देते हैं। इसी वजह से अब मरीजों का आयुर्वेदिक पद्धति के प्रति भरोसा बढ़ता ही जा रहा है।

    हर साल लगातार बढ़ रही है मरीजों की संख्या
    अष्टांग आयुर्वेद कॉलज में साल 2020 में कैंसर का इलाज लेने वाले महिला और पुरुष मरीजों की संख्या 73 थी। साल 2021 में 231, साल 2022 में कैंसर पीडि़त मरीजों की संख्या 412, साल 2023 में कैंसर पीडि़त मरीजों की संख्या 526 थी। इस साल जनवरी से अभी तक लगभग 100 कैंसर के मरीज आयुर्वेद पद्धति से इलाज करवा रहे हैं।

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    कॉलेज में ही लगे हैं कैंसर की दवाओं के पौधे
    हर्बल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर हरिओम परिहार बताते हैं कि अस्पताल के पास हर्बल गार्डन में कैंसर में काम आने वाली दवाइयां जैसे सदाबहार, एरंड, लक्ष्मी तरु, हरिद्रा, तुलसी, मुलेठी आदि के पौधे लगाए गए हैं, जिनसे मरीजों को दवाइयां प्राप्त होती हैं।

    अब तक 1000 से ज्यादा मरीजों का इलाज
    इंदौर में हमारे यहां आयुर्वेद इलाज कैंसर के मरीजों के लिए आशा की किरण बन चुका है, इसलिए यहां इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। विगत 4 सालों में 1000 से ज्यादा मरीज इलाज कराने आ चुके हैं। अब तो देश के हर राज्य से मरीज आयुर्वेद से इलाज कराने आ रहे हैं।

    डॉ. अखलेश भार्गव, प्रभारी, कैंसर यूनिट शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज

    आयुर्वेद से राहत पाने वाले मरीजों के अनुभव
    च्ठ्ठ अब्बास अली, नूरानी नगर:- लगभग 20 वर्षों से तंबाकू का सेवन कर रहा था, जिससे मेरा मुंह कम खुलने लगा और मुंह में छाले और घाव हो गया। जांच कराने पर मुंह का कैंसर निकला। यह मेरे और मेरे परिवार के लिए कठिन समय था। ऑपरेशन के बाद एक बड़ा घाव हो गया। कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी के बाद खाना निगलने में दिक्कत, वजन में कमी, भूख नहीं लगना, नींद नहीं आना जैसी समस्याएं रहने लगीं। मैंने शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज लोकमान्य नगर इंदौर में कैंसर के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां लेना शुरू की और मुंह के घाव में गाय के घी से बनी दवाएं लगा रहा हूं। इससे मुझे काफी फायदा मिल रहा है।

    ठ्ठ सुनीता लेले (78 वर्ष) निवासी मक्सी को स्तन में गांठ हुई। लगातार वजन कम होता गया और अनेक शारीरिक एवं मानसिक तकलीफ होने लगी। जांच कराने पर कैंसर निकला, किंतु अधिक उम्र होने से परिवारजन सर्जरी एवं कीमोथैरेपी के लिए तैयार नहीं हुए। अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज इंदौर में आयुर्वेद कैंसररोधी दवाओं से उनका इलाज चल रहा है। गांठ की साइज भी कम हो गई है। उनको भी अच्छा लग रहा है और नींद भी अच्छी आ रही है। वे पूर्णत: स्वस्थ हैं और अपना सारा काम करती हैं। हालांकि एलोपैथी में भी इसका इलाज है, लेकिन आयुर्वेद का इलाज न केवल सस्ता, बल्कि सुरक्षित भी है।

    ठ्ठ मोहम्मद शाहिद को लंबे समय से तंबाकू खाने के बाद मुंह का कैंसर हुआ। 2021 में ऑपरेशन, कीमोथैरेपी एवं रेडियोथैरेपी भी हो गई। कुछ समय ठीक रहा है, किंतु 6 महीने बाद दोबारा कैंसर फैलने लगा। आयुर्वेदिक दवाओं के प्रयोग से इनका वजन बढ़ रहा है। मुंह खुल रहा है। ठ्ठ कैलाश यादव बद्रीलाल (65 वर्ष) निवासी हरसोला गणेश चौक को प्रोस्टेट का कैंसर का पता लगा। अधिक उम्र के कारण कोई इलाज करवाने में मुश्किल थी। उनका इलाज आयुर्वेद दवाइयों से चल रहा है और राहत मिल रही है। इससे उनका भरोसा आयुर्वेद पर बढ़ता जा रहा है। ठ्ठ सरला सोनू पत्नी स्वर्गीय बुद्धा की उम्र 75 वर्ष है। इनको आहार नली का कैंसर का पता लगा। खाना निगलने में दिक्कत हो रही थी। इनका लगातार आयुर्वेदिक दवाइयों से इलाज चल रहा है और अब यह खाना खाने लगी हैं। अनुमान है कि उनके शरीर के कैंसर के कीटाणु भी नष्ट हो रहे होंगे।

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