अस्पतालों में आंतरिक जांच के लिए साफ्ट एक्सरे का चलन
इंदौर। सरकारी कैंसर अस्पताल (Government Cancer Hospital) में एक्सरे विभाग (xray department) में फिल्म (Movie) की जगह मोबाइल (mobile) पर रिपोर्ट का इस्तेमाल कर कैंसर अस्पताल ने सरकार के लाखों रुपए बचाए हैं। चूंकि यह रिपोर्ट अस्पताल के डाक्टरों के ही काम आती है, इसलिए उसे फिल्म पर लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हालांकि किसी और अस्पताल में या निजी डाक्टर को दिखाने के लिए रिपोर्ट का फिल्म पर होना आवश्यक है, लेकिन अस्पतालों में आंतरिक जांच के लिए अब कम्प्यूटर पर ही एक्सरे रिपोर्ट का चलन शुरू हो गया है। यदि पेशेंट या उनके परिजनों को रिपोर्ट की आवश्यकता होती है तो उन्हें मोबाइल पर दे दी जाती है।
कैंसर अस्पताल के रेडियोग्राफर विनोद तिवारी ने बताया कि यह प्रयोग महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से सम्बन्धित एमवाय हॉस्पिटल, चाचा नेहरू हॉस्पिटल, एमटीएच गायनिक हॉस्पिटल सहित प्रदेश के सरकारी जिला अस्पतालों में नहीं किया जा रहा है। यदि यह प्रयोग वहां भी किया जाए तो एक्सरे विभाग में एक्सरे फिल्म पर खर्च होने वाले लाखों रुपए बचा सकते हैं। फिलहाल सभी सरकारी अस्पतालों की तरह एमवाय हॉस्पिटल परिसर में संचालित कैंसर अस्पताल में मरीजों के एक्सरे किए जाते हैं। पहले साधारण मशीनों से एक्सरे किए जाते थे, मगर अब डिजिटल मशीन से एक्सरे किए जाते हैं। मरीज का एक्सरे करने के बाद उसकी रिपोर्ट के लिए एक्सरे फिल्म की जरूरत होती है। कोरोना काल में एक्सरे फिल्म की सप्लाई के अटकने से मरीजों के एक्सरे रिपोर्ट का काम बार-बार रुक रहा था, जिससे मरीजों के इलाज में अड़चन आ रही थी। इसलिए रेडियोलाजिस्ट तिवारी ने एक्सरे रिपोर्ट की फिल्म देने की बजाय मोबाइल पर देना शुरू कर दी। यह रिपोर्ट डाक्टर्स की टीम के वाट्सऐप ग्रुप पर भी डाली जाने लगी। इससे न सिर्फ एक्सरे फिल्म का लाखों रुपए का खर्चा बचने लगा, बल्कि मरीज अथवा उसके परिजन के लिए भी यह आसान औऱ सुविधाजनक हो गया, क्योंकि अब एक्सरे फिल्म बैग में रखने की बजाय अपने मोबाइल की गैलरी में रखने लगे हैं।
सिर्फ ऑपरेशन और एनेस्थिसिया वालों को ही फिल्म
तिवारी के अनुसार अब एक्सरे फिल्म सिर्फ ऑपरेशन वाले मामलों में दी जाती है, क्योंकि वह ऑपरेशन करते वक्त वैक्टीरिया यानी संक्रमण से बचने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते। इसलिए ऑपरेशन थियेटर में फिल्म जरूरी होती है। इसके अलावा एनेस्थिसिया विभाग को फिल्म की जरूरत होती है। बाकी डॉक्टर एक्सरे की रिपोर्ट फिल्म में देखने की बजाय अपने मोबाइल पर देख सकते हैं।
हर रोज 10 हजार से ज्यादा एक्सरे फिल्म की जरूरत होती है
इंदौर सहित प्रदेश के सारे मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल्स और सभी जिला अस्पतालों में हर दिन 10 हजार से ज्यादा एक्सरे होते हैं। यदि एक एक्सरे फिल्म की कीमत 100 रुपए है तो सिर्फ एक दिन में लगभग 10 लाख रुपए की एक्सरे फिल्म की खपत होती है। यदि एक्सरे फिल्म की जगह मोबाइल इमेज का इस्तेमाल किया जाए तो सरकार हर साल अपने खजाने में करोड़ो रुपए बचा सकती है।
-डॉ रमेश आर्य, अधीक्षक शासकीय कैंसर अस्पताल, एमवायएच परिसर इंदौर
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