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    25 वर्षों से नहर ही प्यासी, बूंद बूंद पानी का इंतजार

  • February 08, 2023

    • जिन किसानों के खेत से नहर निकली उन्हें तक नहीं मिल रहा लाभ, पाटन तहसील की तिघरा माइनर नहर का मामला

    जबलपुर। हमारा देश कृषि प्रधान देश माना जाता है और केंद्र में बैठी हुई सरकार हो या राज्य में सत्ता चलाने वाली सरकार सभी मिलकर कृषि को उन्नत और फायदे मंद बनाने के लिए अनेकों योजनाएं बनाते हैं। इन्ही योजनाओं में से एक योजना खेतों में नहरों के द्वारा पानी पहुंचाने की है। लेकिन जब इस योजना के नाम पर किसानों की जमीन अधिग्रहण करके नहर बस बना दी जाए और उस नहर के माध्यम से यदि किसानों को पानी मिल ही ना पाए तो ऐसी योजना का क्या फायदा। बात सिर्फ यही हुई की किसानों की तरक्की जब योजनाओं की लापरवाही में फंस जायेगी तो भला किसानों की उन्नति कैसे होगी।मामला जबलपुर जिले के रानी अवंती बाई सागर परियोजना बरगी बांध से निकलने वाली बाई तट की खजूरी नहर से निकलकर करीब 11 किलोमीटर लंबी तिघरा माइनर नहर का है, जहां नहर को बने हुए तो पच्चीसों वर्ष हो गए लेकिन इस नहर से जुड़े हुए खेतों वाले किसान आज भी नहर में पानी आने के इंतजार में हैं। किसानों का कहना है कि हमारे खेत से नहर तो सरकार ने निकाल दी लेकिन उसमे पानी आज तक नहीं दिया। चाहे गर्मी की खेती हो या ठंड के मौसम की खेती कभी भी किसानों को इस नहर से पानी नहीं मिला। हर बार किसान जिम्मेदार अधिकारियों से पानी की मांग करते हैं लेकिन किसानों के हाथ सिर्फ आश्वासन ही लगता है।



    3 करोड़ 25 लाख की लागत से हुआ था सीमेंटीकरण
    वर्ष 2016-17 में 3 करोड़ 25 लाख रुपए की लागत से इस माइनर नहर का सीमेंटीकरण करके इसे पक्का बनाया गया था, लेकिन जब नहर कच्ची थी तब भी पानी नहीं आया और ना ही पक्की बनने के बाद कभी किसानों को पानी मिल सका। नहर निर्माण में ठेकेदार द्वारा की गई लीपापोती की वजह से बीते 4 से 5 वर्षों में पक्की नहर अनेकों जगह से फुट गई और दरारों से पट गई।

    अंतिम छोर पर नहर को मिटाकर बना दिया खेत
    नहर के लिए किसानों की भूमि का अधिग्रहण करके उनके खेत में से नहर बनाने वाली सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही किस हद तक है। इस बात का साफ पता तब चलता है जब मौके पर जाकर देखा की नहर का लेवल भी इतना अच्छा नही बनाया गया, जिससे की पानी किसानों के खेत तक आसानी से पहुंच सके। इतना ही नहीं शासन के करोड़ों रुपए से बनी इस नहर की हालत इतनी खराब है कि नहर के अंतिम छोर में कुछ दबंगों ने करीब 1 किलोमीटर का हिस्सा मिटाकर प्लेन कर दिया। लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी जिम्मेदारों का ध्यान कभी इस नहर की तरफ नहीं गया। किसानों का कहना है की जब इसी तरह हमारे साथ मजाक ही करना था तो सरकार ये नहर बनाई ही क्यों, अब तो हमारी जमीन भी नहर में चली गई और खेती करने के लिए हमे पानी भी नहीं मिला। सरकार की अनदेखी और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है की किसान की ही जमीन पर किसान के लिए योजना बनाकर लाभ देने के बड़े बड़े वादे तो किसानों से किए गए। लेकिन पच्चीसों वर्ष बीत जाने पर भी किसान को उसका कोई भी लाभ नहीं मिल सका। वहीं इस मामले पर अब जिम्मेदार नहर का निरीक्षण कर किसानों की समस्याओं का निराकरण करने की बात कह रहें हैं।

    नहर को बने हुए पच्चीसों वर्ष हो गए लेकिन आज तक इसमें पानी नहीं आया। पांच साल पहले इस नहर को पक्का बनाया गया था, लेकिन उसके बाद भी हमारे खेतों में नहर से पानी नहीं आया और निर्माण के बाद जगह जगह नहर टूट फुट भी गई।
    ब्रजेश सिंह, किसान

    नहर का लेवल इतना खराब है की इसमें पानी आ ही नही सकता। नहर बनाने के लिए हम किसानों की जमीन ले ली गई लेकिन नहर बनाने के बाद कभी हमे पानी नहीं मिला। इससे अच्छा तो इस जमीन पर हम खेती ही कर लेते।
    सत्यम सिंह, किसान

    आपके द्वारा जो तिघरा माइनर नहर का जो मामला बताया जा रहा है उसमे हम मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे और किसानों की समस्या का निराकरण करेंगे।
    महेंद्र ढिमोले, कार्य पालन यंत्री, बाईं तट नहर

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