ओटावा। कनाडा (Canada) में आम चुनाव से ठीक पहले पीएम जस्टिन ट्रूडो (PM Justin Trudeau) के नेतृत्व वाली सरकार ने एक बार फिर विदेशी छात्रों के लिए स्टडी परमिट (study permit) की संख्या कम कर दिया है। साथ ही विदेशियों के लिए वर्क परमिट भी कम करने और इसके लिए पात्रता सख्त करने का फैसला लिया है। ट्रूडो की यह घोषणा ऐसे समय में आई है, जब उनकी सरकार देश से विदेशियों की संख्या कम करने की कोशिश कर रही है। जस्टिन ट्रूडो को उम्मीद है कि उनके इस कदम से देश में घरों का संकट कम होगा और चुनाव में इसका उन्हें फायदा मिलेगा। जस्टिन ट्रूडो को इस बार खालिस्तान प्रेमी जगमीत सिंह का भी साथ नहीं मिल रहा है। वहीं कनाडा सरकार का यह कदम बड़ी संख्या में उन भारतीयों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा जो वहां पढ़ने और काम करने जाने का इरादा रखते हैं।
बदलाव का भारतीयों पर कितना होगा असर
पिछले महीने जारी भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, देश के करीब 4.27 लाख छात्र कनाडा में पढ़ रहे हैं। 2023 में कनाडा के अंतरराष्ट्रीय पोस्ट-सेकेंडरी छात्र निकाय में भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत थी। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में कनाडा में भारतीय समुदाय की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। कनाडा में आधिकारिक तौर पर पंजीकृत भारतीयों की संख्या 2000 में 6,70,000 थी जो बढ़कर 2020 में दस लाख से ज्यादा हो गई। साल 2020 तक कनाडा में कुल 1,021,356 भारतीय पंजीकृत थे।
कनाडा में विदेशियों का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीयों का है। ऐसे में जाहिर है कि कनाडा सरकार का नया कदम पढ़ाई और जॉब के लिए कनाडा को चुनने के भारतीयों के फैसले को प्रभावित करेगा। बदले नियमों से छात्रों को ना सिर्फ पढ़ाई के लिए कनाडा जाने में मुश्किल होगी बल्कि काम ढूंढ़ना भी आसान नहीं रहेगा। ऐसे में आने वाले समय में भारतीय छात्र अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों का चयन कनाडा की जगह पर करते दिख सकते हैं।
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