डेस्क: कनाडा की ओर से उठाए जा रहे कदमों से लग रहा है कि वह भारत के साथ अपने विवादों को और बढ़ाने में लगा है. कभी खालिस्तानियों समर्थन तो कभी भारत को लेकर कनाडाई नेताओं के बयानों से दोनों देशों के रिश्तों में दूरी बड़ी है. भारत के साथ तनाव के बीच कनाडा पाकिस्तान से अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा है. कनाडा के उच्चायोग ने कराची में नागरिक महावाणिज्यदूत की नियुक्ति के लिए आधिकारिक तौर पर आवेदन आमंत्रित किए हैं. भारत के लिए कनाडा और पाक की करीबी इसलिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि दोनों ही देश समय-समय पर खालिस्तानी विद्रोहियों का समर्थन करते रहे हैं.
कराची में कनाडा के महावाणिज्यदूत की तैनाती दोनों देशों के संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक विकास है. कनाडा ने इस पद के लिए एक पब्लिक एडवर्टाइजमेंट जारी किया और इसमें आवेदन देने की आखिरी तारीख 15 जून है. विज्ञापन में कहा गया है कि चयनित उम्मीदवार पांच साल के लिए नियुक्त किया जाएगा, जिसके दौरान वे कराची और सिंध में कनाडा की सकारात्मक छवि को बढ़ावा देने का काम करेगा. साथ ही आवेदकों को अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा में महारत हासिल होने चाहिए.
महावाणिज्यदूत की नियुक्ति दोनों देशों की सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक आदान-प्रदान को प्राथमिकता देती है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाती है. यह नियुक्ति 2023 में बहरूम डी. अवारी के निधन के बाद हुई है, जो पहले मानद महावाणिज्यदूत पद पर थे. कनाडाई उच्चायोग का मकसद कराची में राजनयिक प्रतिनिधित्व और इंगेजमेंट बनाए रखना है.
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