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    Canada: भारत से तनातनी और फ्रीलैंड के इस्तीफे से जस्टिन ट्रूडो पर बढ़ा दबाव, क्या छोडऩा पड़ेगा कनाडा का पीएम पद?

  • December 18, 2024

    ओटावा. भारत (India) की तल्खी (Tension)  के बाद वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री (Finance Minister and Deputy Prime Minister) क्रिस्टिया फ्रीलैंड (Chrystia Freeland) के इस्तीफा देने के बाद कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री (PM) जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की मुश्किलें बढ़ रही हैं। लगातार घाटे से जूझ रहे देश पर एक ओर जहां अमेरिका की ओर टैरिफ लगाने का दबाव है तो दूसरी ओर आंतरिक नीतिगत टकराव ने पीएम ट्रूडो के सामने पद छोड़ने वाले हालात पैदा कर दिए हैं। मौजूदा संकट उनके नौ साल के कार्यकाल में सबसे बड़ा है।

    कनाडा की उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने क्यों दिया इस्तीफा
    कनाडा की उप-प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को संबोधित एक पत्र के जरिए अपना इस्तीफा दिया। पत्र में फ्रीलैंड ने बताया कि पिछले हफ्ते ट्रूडो ने उन्हें वित्त मंत्री के पद से हटाने की कोशिश की थी और उन्हें मंत्रिमंडल में कोई अन्य भूमिका देने की पेशकश की थी। ऐसे में मंत्रिमंडल छोड़ना ही एकमात्र ईमानदार और व्यावहारिक रास्ता है। पत्र में फ्रीलैंड ने कहा था कि कनाडा गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है और उन्होंने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस धमकी का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कनाडाई उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की बात की थी। फ्रीलैंड ने लिखा, हमें अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत रखना होगा, ताकि हम किसी संभावित शुल्क युद्ध के लिए तैयार रह सकें।


    भारत के साथ तल्खी
    कनाडा और भारत के रिश्तों में भी तल्खी है। सितंबर 2023 में जब ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की भूमिका का आरोप लगाया था, इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। कनाडा ने निज्जर की हत्या की जांच में भारतीय उच्चायुक्त पर संदेह जताया था। हालांकि भारत ने इस आरोप को कड़े शब्दों में खारिज कर दिया और ओटावा में अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया। भारत ने देश से छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित भी कर दिया था। विदेश मंत्रालय ने बार-बार कहा है कि कनाडा सरकार ने बार-बार कहे जाने के बाद भी निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के सबूत साझा नहीं किए। इसके बाद से ही ट्रूडो अपने देश और भारत समेत कई देशों के निशाने पर हैं।

    अब ट्रूडो के साथ क्या होगा
    इन मामलों के बीच कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो पर पद छोड़ने का दबाव बन रहा है। ट्रूडो को हटाना तभी संभव है जब हाउस ऑफ कॉमन्स में उनके खिलाफ मंत्रिमंडल के सदस्य और विधायक पद से हटाने के लिए कहेंगे। ट्रूडो को यह दिखाना होगा कि उनको हाउस ऑफ कॉमन्स में निर्वाचित सदन का विश्वास प्राप्त है। कनाडा में बजट और अन्य व्यय पर वोट को विश्वास का उपाय माना जाता है।

    वहीं कनाडा सरकार को हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रत्येक सत्र में कुछ दिन विपक्षी दल को देने होते हैं। इन सत्रों में विपक्षी दल अविश्वास समेत अन्य किसी भी मामले पर प्रस्ताव पेश कर सकते हैं। अब अगर सभी दल पीएम ट्रूडो की लिबरल पार्टी के खिलाफ वोट करते हैं तो उनके लिए पद बचाना मुश्किल होगा। अगर कोई भी दल मतदान से दूर रहा तो वे उनका बचना संभव है। हाउस ऑफ कॉमन्स सर्दी की छुट्टियों के लिए बंद होने वाला है और फिर यह 27 जनवरी के बाद खुलेगा। ऐसे में विश्वास मत सबसे पहले फरवरी में होगा और ट्रूडो बच सकते हैं।

    कनाडा में सांविधानिक शक्ति का अंतिम अधिकार किंग चार्ल्स के निजी प्रतिनिधि गर्वनर जनरल मैरी साइमन के पास है, वह चाहें तो ट्रूडो को हटा सकती हैं, लेकिन ऐसा नहीं होगा। क्योंकि वे ऐसे पीएम को बर्खास्त नहीं करेंगी तो कॉमन्स में विश्वास रखने वाला हो।

    बचने का यह भी तरीका
    कनाडा में ट्रूडो की लिबरल पार्टी के पास हाउस ऑफ कॉमन्स में सीटें कम हैं। वे अन्य पार्टियों के समर्थन पर निर्भर हैं। इसमें उनको लेफ्ट की न्यू डेमोक्रेट्स का भी समर्थन मिला है। बताया जाता है कि न्यू डेमाक्रेट के नेता पर ट्रूडो को सत्ता से हटाने का दबाव है, लेकिन उनकी पार्टी प्रमुख विपक्षी दल कंजर्वेटिव की तरह मजबूत नहीं है और चुनाव में उसका सामना नहीं कर पाएगी। इसलिए डेमोक्रेट्स ट्रूडो के खिलाफ जाने की गलती नहीं करेंगे।

    ट्रूडो ने इस्तीफा दिया तो क्या होगा
    अगर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो दबाव के बीच इस्तीफा दे भी देते हैं तो सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए सम्मेलन आयोजित करेगी। मगर सम्मेलन में आमतौर पर काफी महीने लग जाते हैं और उससे पहले चुनाव हो गए तो लिबरल पार्टी ऐसे अंतरिम प्रधानमंत्री के हाथों में चली जाएगी जिसे सदस्यों ने नहीं चुना होगा। कनाडा में ऐसा कभी हुआ नहीं है। उप प्रधानमंत्री फ्रीलैंड को भी स्थायी आधार पर प्रधानमंत्री नहीं बनाया जा सकता। क्योंकि परंपरा के तहत अंतरिम नेता उम्मीदवार के तौर पर पार्टी का नेतृत्व नहीं कर सकता। अगर फ्रीलैंड चुनाव लड़ती हैं तो उनको अंतरिम नेता नहीं बनाया जाएगा।

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