ओट्टावा. कनाडा (Canada) में अस्थायी परमिट (Temporary Permit) पर रह रहे भारतीयों (Indians) पर निर्वासन की तलवार लटक रही है। कनाडा के इमिग्रेशन (Immigration) विभाग के मंत्री मार्क मिलर (Mark Millar) ने संसदीय समिति को बताया है कि 2025 के अंत तक लगभग 50 लाख अस्थायी परमिट समाप्त होने वाले हैं। समाप्त होने वाले परमिटों में 7,66,000 विदेशी छात्रों के हैं। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के हाल ही में उठाए गए नीतिगत बदलावों के चलते विदेशी छात्रों को बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकांश को छोड़ना पड़ सकता है देश
कनाडाई मंत्री ने संसदीय समिति को बताया है कि आव्रजन अधिकारियों को उम्मीद है कि अधिकांश लोग स्वेच्छा से देश छोड़ देंगे। हालांकि, इतनी बड़ी मात्रा में अस्थायी परमिट समाप्त होने के बाद अब यह आशंका जताई जाने लगी है कि सरकार जबरन लोगों को उनके देश भेज सकती है। कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद टॉम केमिएक ने समाप्त होने वाले वीजा की विशाल संख्या को देखते हुए पूछा कि सरकार इसे कैसे सुनिश्चित करेगी?
इस तरीके से मिल सकती है राहत
हालांकि, सभी अस्थायी निवासियों को जाने की आवश्यकता नहीं होगी। मिलर ने कहा, ‘कुछ को नवीनीकरण या पोस्टग्रेजुएट वर्क परमिट प्राप्त होंगे।’ ये परमिट कनाडाई डिप्लोमा या डिग्री वाले विदेशी छात्रों को स्थायी निवास आवेदनों के लिए आवश्यक कार्य अनुभव प्राप्त करने की अनुमति देते हैं। इस तरह के परमिट आम तौर पर 9 महीने के लिए दिए जाते हैं।
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कनाडा में भारतीय कर रहे संकट का सामना
कनाडा में रहने वाले सबसे बड़े प्रवासी समूहों में भारतीय समुदाय सबसे प्रमुख है। ऐसे में कनाडा सरकार की बदली हुई नीतियों से भारतीय बड़ी संख्या में प्रभावित हो रहे हैं। इस साल अगस्त से ही कनाडा के ब्रैम्पटन में भारतीय युवक टेंट लगाकर बदलती नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय युवाओं का कहना है कि वे इस उम्मीद के साथ कनाडा पहुंचे थे कि उन्हें यहां रहने की अनुमति मिल जाएगी। लेकिन ट्रूडो सरकार की नीतियों से उनके सामने संकट आ गया है।
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