ओटावा। कनाडा (Canada) के अल्बर्टा में अचानक लोगों को आसमान में एक नीली रोशनी दिखाई दी जिसे परमाणु हमला समझ लिया गया। बाद में पता चला कि यह एक उल्कापिंड (Meteorite) था। इसकी वजह से बना आग का गोला इतना विशाल था कि इसे अमेरिकी सीमा से लेकर आर्कटिक सर्कल (Arctic circle) तक देखा गया। इन इलाकों में लगे कई सिक्यॉरिटी कैमरों में देखा गया।
एक वीडियो में इतनी तेज रोशनी देखी गई कि रात का अंधेरा काला आसमान भी चमक उठा। इंटरनैशनल मीटियर ऑर्गनाइजेशन (IMO) के पास उल्कापिंड देखे जाने की 300 से ज्यादा कॉल की गईं। यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के ऐस्ट्रोनॉमर डॉ. क्रिस हर्ड ने कनाडाई रेडियो स्टेशन 630 CHED mornings को बताया कि कोई स्पेस रॉक हमारे वायुमंडल में दाखिल हो गई और घर्षण की वजह से जल उठी।
उल्कापिंड ऐस्टरॉइड का ही हिस्सा होते हैं। किसी वजह से ऐस्टरॉइड के टूटने पर उनका छोटा सा टुकड़ा उनसे अलग हो जाता है जिसे उल्कापिंड यानी Meteoroid कहते हैं। जब ये उल्कापिंड धरती के करीब पहुंचते हैं तो वायुमंडल के संपर्क में आने के साथ ये जल उठते हैं और हमें दिखाई देती एक रोशनी जो शूटिंग स्टार यानी टूटते तारे की तरह लगती है लेकिन ये वाकई में तारे नहीं होते।
जरूरी नहीं है कि हर उल्कापिंड धरती पर आते ही जल उठे। कुछ बड़े आकार के उल्कापिंड बिना जले धरती पर लैंड भी करते हैं और तब उन्हें meteorite कहा जाता है। NASA का जॉन्सन स्पेस सेंटर (Johnson space center) दुनिया के अलग-अलग कोनों में पाए गए meteorites का कलेक्शन रखता है और इन्हीं की स्टडी करके ऐस्टरॉइ़ड्, planets और हमारे सोलर सिस्टम की परतें खोली जा जाती हैं।
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