नई दिल्ली. जस्टिन ट्रूडो (Justin trudeau) ने कनाडा के प्रधानमंत्री (PM) पद से इस्तीफा (resignation) देने का ऐलान कर दिया है. अब ट्रूडो तब तक ही कार्यवाहक पीएम हैं, जब तक नए प्रधानमंत्री का चयन नहीं कर लिया जाता. वैसे तो ट्रूडो के इस्तीफे की कई वजहें बताई जा रही हैं, लेकिन इस्तीफे के पीछे ऐसे कई कारणों का जिक्र हो रहा है, जिनका दबाव संभवता ट्रूडो झेल नहीं पा रहे थे. इसमें डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की तरफ से लगातार की जा रही ट्रोलिंग (trolling) से लेकर अपनों की बगावत तक सभी चीजों को शामिल किया जा रहा है.
ट्रंप की ट्रोलिंग से परेशान हो गए ट्रूडो!
अमेरिका की कमान संभालने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप लगातार जस्टिन ट्रूडो को ट्रोल करते नजर आ रहे थे. अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जितने के बाद ट्रंप ने ट्रूडो को अमेरिका के 51वें राज्य का गवर्नर कहकर संबोधित किया था. ट्रंप के बयान का सीधा मतलब था कि वह कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य मानते हैं. इतना ही नहीं जब ट्रूडो अमेरिका में ट्रंप से मिलने पहुंचे तो ट्रंप ने मुलाकात की फोटो शेयर की थी और इसमें भी ट्रूडो को ‘अमेरिकी राज्य कनाडा’ का गवर्नर बताया था. ट्रंप के बयानों से कनाडा के अंदर ट्रूडो की बड़ी फजीहत हो रही थी. इसके अलावा ट्रंप ने कनाडा पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी भी दी थी.
अपनी ही पार्टी के नेता हो गए बागी
जस्टिन ट्रूडो की नीतियों ने उनकी अपनी पार्टी के नेताओं को ही बगावत करने पर मजबूर कर दिया. 2024 के अंतिम महीनों में ट्रूडो के मंत्रिमंडल में इस्तीफों की लहर छा गई. 19 सितंबर 2024 को परिवहन मंत्री पाब्लो रोड्रिग्ज ने इस्तीफा दे दिया. 20 नवंबर 2024 को अल्बर्टा के सांसद रैंडी बोइसोनॉल्ट ने इस्तीफा दिया. 15 दिसंबर 2024 को आवास मंत्री सीन फ्रेजर ने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अगले फेरबदल में कैबिनेट छोड़ने के अपने इरादे की घोषणा की. हद तो तब हो गई, जब 16 दिसंबर 2024 को क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने उप प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. एक के बाद एक लगी इस्तीफों की झड़ी ने भी ट्रूडो पर दबाब बना दिया.
बढ़ती महंगाई, फेल हुई अर्थव्यवस्था
कनाडा में एक तरफ लगातार महंगाई बढ़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ बेरोजगारी भी तेजी से पैर पसार रही है. ट्रूडो की लिबरल पार्टी के खिलाफ कंजरवेटिव पार्टी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया. कनाडा में कोविड के बाद बेरोजगारी दर लगभग 6.5 फीसदी तक पहुंच गई. कनाडा में घरों की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है, जिसने आम लोगों को ट्रूडो के खिलाफ खड़ा कर दिया है. पिछले साल दिसंबर महीने में लिबरल पार्टी में भी ट्रूडो के खिलाफ विद्रोह जैसी स्थिति देखते को मिली थी. लिबरल पार्टी के 51 सांसदों ने एक मीटिंग में सहमति जताई और कहा कि अब ट्रूडो को अपना पद छोड़ देना चाहिए.
बिगड़ते गए कनाडा के अंतरराष्ट्रीय संबंध
जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में कनाडा के अंतरराष्ट्रीय संबंध कई देशों के साथ बिगड़ते चले गए. एक तरफ उन्होंने भारत को निशाना बनाना शुरू कर दिया तो वहीं दूसरी तरफ इजरायल और नेतन्याहू को लेकर भी बयानबाजी करते रहे. कनाडा में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या का दोष ट्रूडो ने सीधे तौर पर भारत की जांच एजेंसियों पर मढ़ना शुरू कर दिया. वहीं, ट्रूडो ने खुलेआम यह ऐलान कर दिया कि अगर नेतन्याहू उनके देश में आते हैं तो वह अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट (ICC) के वारंट का पालन करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे. नेतन्याहू पर ट्रूडो के इस बयान से अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम बौखला गए और उन्होंने ट्रूडो को धमकी दे डाली कि अगर कनाडा ने ऐसा किया तो अमेरिका उनकी पूरी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा.
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