नई दिल्ली. ओमिक्रॉन (omicron) को पूरी दुनिया में माइल्ड इंफेक्शन यानी हल्के संक्रमण(Infection) वाला वैरिएंट बताकर नजरअंदाज किया जा रहा है. इसे लेकर जर्मनी के एक्सपर्ट्स ने चिंता जाहिर की है. यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी बताती है कि कोरोना वायरस (corona virus) का इंफेक्शन अपना असर छोड़ जाता है, फिर भले ही मरीजों में इसके लक्षण ना दिखते हों. ये इसलिए महत्वपूर्ण (Important) है क्योंकि पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन में बिना लक्षण या हल्के संक्रमण के मामले ही सामने आ रहे हैं.
स्टडी के मुताबिक, बीमारी का हल्का संक्रमण भी शरीर के अंगों को डैमेज कर सकता है. इसके लिए SARS-CoV-2 इंफेक्शन के हल्के लक्षण वाले 45 से 74 साल की उम्र के कुल 443 लोगों की बड़े पैमाने पर जांच की गई. स्टडी में शामिल किए गए संक्रमितों में हल्के या किसी तरह के लक्षण ना होने की जानकारी दी गई है. इसका रिजल्ट बताता है कि इन संक्रमितों में संक्रमित ना होने वाले लोगों के मुकाबले मीडियम टर्म ऑर्गेन डैमेज देखा गया.
स्टडी के शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा, ‘लंग्स फंक्शन टेस्ट में फेफड़े(Lungs) का वॉल्यूम तीन प्रतिशत घट गया और वायुमार्ग से जुड़ी दिक्कतें भी देखी गईं.’ इसके अलावा, हृदय की पम्पिंग पावर में औसतन 1 से 2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई. जबकि खून में प्रोटीन का स्तर 41 प्रतिशत तक बढ़ गया जो कि हृदय पर पड़ने वाले तनाव के बारे में बताता है.
शोधकर्ताओं को दो से तीन गुना ज्यादा बार ‘लेग वीन थ्रोम्बोसिस’ (पैरों की नसों में खून के थक्के बनना) के संकेत मिले और किडनी फंक्शन में तकरीबन दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि, मरीजों के ब्रेन फंक्शन पर इसका कोई बुरा असर नहीं देखने को मिला.
साइंटिफिक स्टडी सेंटर के डायरेक्टर राफेल ट्वेरेनबोल्ड ने कहा, ‘यह जानकारी हमारे लिए काफी अहम है. खासतौर से ओमिक्रॉन के मामले में, जो हल्के लक्षणों से जुड़ा हुआ दिखाई देता है.’ हार्ट एंड वस्क्यूलर सेंटर ऑफ दि यूके के मेडिकल डायरेक्टर स्टीफन ब्लैंकेनबर्ग ने कहा, ‘स्टडी के परिणाम शुरुआती स्टेज पर संभावित जोखिमों को समझने में मदद करते हैं ताकि मरीजों के इलाज में सही कदम उठाए जा सकें.’
एक्सपर्ट्स की मानें तो कोरोना के पिछले वैरिएंट्स लोवर रेस्पिरेटरी सिस्टम में अपनी संख्या बढ़ाते थे जिससे इंसान के फेफड़ों पर वायरस का ज्यादा प्रभाव पड़ता था. लेकिन नया ओमिक्रॉन वैरिएंट अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में रेप्लीकेट होता है, जिससे फेफड़ों को कम नुकसान हो सकता है. यहां सांस में तकलीफ और स्वाद, गंध की पहचान करने की शक्ति खोने जैसे लक्षण भी नहीं दिख रहे हैं. हालांकि, लक्षणों का ना दिखना वायरस के फैलने की रफ्तार को बढ़ा सकता है.
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