जयपुर (jaipur)। राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan assembly elections) के लिए सभी राजनीतिक दल अपने-अपने नेताओं को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, लेकिन राजस्थान में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje in Rajasthan) को खुद की भूमिका से जुड़े सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक चुनावी सभा से यह संकेत जरूर मिल गया है कि सीएम फेस वसुंधरा राजे नहीं होंगी, लेकिन पार्टी वसुंधरा राजे को जिम्मेदारी देगी, इस पर संशय बना हुआ है, हालांकि, वसुंधरा राजे ने साफ कर दिय है कि वह राजस्थान छोड़कर कहीं नहीं जाएंगी। राजस्थान में रहकर ही जनता की सेवा करेगी। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी को वसुंधरा राजे की अनदेखी करना पड़ भारी पड़ सकता है। राजस्थान के चुनाव में कर्नाटक वाला खेल हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे सही वक्क का इंतजार कर ही। राजस्थान में वसुंधरा राजे की भूमिका तय करने में बीजेपी ने देरी कर दी है। चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि हर सीट पर वसुंधरा राजे समर्थकों ने ताल ठोक रखी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के बिना सत्ता में वापसी बीजेपी के लिए भी शायद संभव नहीं है। वसुंधरा राजे चुप रहकर पार्टी आलाकमान को संदेश देना चाहती है। राजस्थान में बीजेपी की नंबर एक नेता वसुंधरा राजे ही है। वसुंधरा राजे के कद के सामने बीजेपी के नेता नहीं टिक पा रहे हैं। इसके बावजूद पार्टी ने उनकी अनदेखी कर रही है। वसुंधरा राजे के समर्थकों को दूसरी लिस्ट का इंतजार है। माना जा रहा है कि दूसरी लिस्ट में वसुंधरा राजे समर्थक नेताओं के टिकट कटेंगे। चर्चा है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और पूर्व मंत्री युनूस खान को टिकट नहीं मिलेगा। दोनों ही नेता हाल ही में वसुंधरा राजे से उनके आवास पर भी मिले हैं। टिकट नहीं मिलने की स्थिति में माना जा रहा है अशोक परनामी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। जबकि युनूस खान के बारे में कहा जा रहा है कि वह कांग्रेस में शामिल हो सकते है।
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