भोपाल। शहर में मानसून ने दस्तक दे दी है। इस सीजन में स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही भारी पड़ सकती है। बारिश मौसमी और अन्य बीमारियों को न्योता देती है। मौसम में हो रहे परिवर्तन का असर अब लोगों पर दिखने लगा है। इसके चलते एमवाय अस्पताल समेत अन्य हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। खास तौर पर मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या में दोगुना बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टरों के अनुसार मौसम परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर बच्चों में देखने को मिल रहा है। शहर के शिशु रोग विशेषज्ञों ने बताया कि सबसे ज्यादा बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार, उल्टी, दस्त, पीलिया और टाइफाइड के आ रहे हैं। मरीजों की संख्या अभी और बढऩे की संभावना है। चिकित्सक बता रहे हैं, बारिश के मौसम में किस तरह की बीमारियां होती हैं और बचाव को लेकर किस तरह से सावधानी बरती जाए।
बारिश के सीजन में होने वाली बीमारियां
इस मौसम मेसर्दी, जुकाम, खांसी व वायरल बुखार के ज्यादा मरीज मिलते हैं। वहीं जलजमाव के कारण भरा पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए उपयुक्त माना जाता है, कई मच्छर जनित बीमारियां जैसे डेंगू, चिकनगुनिया का कारण बनता है। बारिश में बैक्टीरिया अधिक पनपते हैं, जो पानी व खाद्य पदार्थ की आसानी से दूषित कर टाइफाइड व पीलिया को आमंत्रित करते हैं। वातावरण में नमी के चलते इस मौसम में दाद, खाज, खुजली होना आम बात है। ज्यादातर केस में त्वचा संबंधी विकार फंगल इंफेक्शन से होते हैं। इस मौसम में आंखों का संक्रमण भी फैलता है। इसमें आंखों में खुजली, लालिमा, पलके झपकाने पर दर्द की शिकायत होती है।
ऐसे जोखिम बढ़ाता है मौसम
वातावरण में बढ़ी हुई नमी। उमस भरे मौसम से अत्यधिक पसीने का बहना, मच्छरों के प्रजनन के लिए मौसम की अनुकूलता,कपड़ों में मौजूद नमी और गीलापन, तापमान में होने वाला उतार-चढ़ाव बीमारियों के लिए बड़ी वजह बनते हैं।
बरतें सावधानी
स्वच्छ, उबला पानी ही काम में लें। ताजा, संतुलित व पौष्टिक आहार का ही सेवन करें। स्ट्रीट फूड, बासी खाने से परहेज करें। खाना बनाने, परोसने व खाने से पहले हाथों को साबुन से धोएं। तैयार की गई खाद्य सामग्री को ढककर ही रखें।
सब्जियों व फलों को अच्छी तरह से धोने के बाद ही उपयोग में लें। मच्छरों से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी या मच्छर रोधी क्रीम का प्रयोग करें। सर्दी, जुकाम, खांसी व वायरल के मरीज के संपर्क में आने से बचें।
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