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    क्या कृषि मंत्री कमल पटेल पर गिर सकती है गाज!

  • September 24, 2020

    • बिना मंत्री के अनुमोदन के विधानसभा में प्रस्तुत नहीं होता जवाब

    भोपाल। प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी को लेकर कृषि विभाग द्वारा विधानसभा में कर्जमाफी के आंकड़े पेश करने के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई है। इस बीच सरकार में भी यह पड़ताल शुरू हो गई है कि विधानसभा में कर्जमाफी से जुड़े सवाल का जवाब किस अधिकारी ने प्रस्तुत किया था। कांगे्रस के आरोपों के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने सफाई दी है कि कर्जमाफी के आंकड़ों में त्रु़टि हुई है। इसके लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी। खास बात यह है कि विधानसभा में जवाब विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद ही प्रस्तुत किए जाते हैं। तब कर्जमाफी से जुड़े सवाल का जवाब कृषि मंत्री कमल पटेल के अनुमोदन के बाद ही विधानसभा में प्रस्तुत किया होगा। ऐसे में कृषि मंत्री पर भी गाज गिर सकती है।
    कमल पटेल संघ और भाजपा हाईकमान के दबाव में शिवराज सरकार में मंत्री बनाए गए थे। पटेल मप्र में इकलौते भाजपा नेता है, जो शिवराज सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे थे और नर्मदा में रेत के अवैध उत्खनन को लेकर एनजीटी तक गए थे। पिछले कार्यकाल में पटेल ने रेत के अवैध उत्खनन के लिए अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा था। चूंकि भाजपा में आमतौर पर कोई भी नेता सरकार के खिलाफ खुलकर नाराजगी व्यक्त नहीं करता है, लेकिन पटेल ने शिवराज सरकार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला था। अब कमल पटेल शिवराज सरकार में कृषि मंत्री हैं। विधानसभा उपचुनाव से पहले प्रदेश की सियासत में कर्जमाफी बड़ा मुददा बना हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य भाजपा नेता यहां तक कि खुद कृषि मंत्री कमल पटेल कांग्रेस पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने कर्जमाफी के नाम पर किसानों को गुमराह किया था। लेकिन कृषि मंत्री कमल पटेल ने कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के सवाल के जवाब में कर्जमाफी से जुड़े आंकड़े पेश कर कांग्रेस के हाथ बड़ा मुद़दा पकड़ा दिया है।
    संसदीय प्रक्रिया के जानकारों के अनुसार विधानसभा, लोकसभा या राज्यसभा के किसी भी सदस्य का जवाब संबंधित विभाग का मंत्री ही पेश करता है। चाहे सवाल तारांकित हो या अतारांकित हो। संसदीय प्रक्रिया में विभाग के किसी भी अधिकारी को सीधे तौर पर जवाब प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं है। कर्जमाफी से जुड़े सवाल का जवाब भी कृषि मंत्री कमल पटेल के अनुमोदन से ही प्रस्तुत किया गया होगा। तब पटेल ने या तो कर्जमाफी के सवाल को गंभीरता से नहीं लिया होगा या फिर उन्होंने जानकर कर्जमाफी का जवाब विधानसभा में पेश किया है।

    चाहते तो टाल सकते थे जवाब
    संसदीय प्रक्रिया में कई सदस्यों के सवालों का जवाब ‘जानकारी एकत्रित की जा रही हैÓ से दिया जाता है। हालांकि अगले संत्र से पहले ऐसे सवालों के जवाब सदन में प्रस्तुुत किए जा सकते हैं। यदि कृषि मंत्री कमल पटेल चाहते तो कर्जमाफी के सवाल के जवाब को ‘जानकारी एकत्रित की जा रही हैÓ के जरिए टाल सकते थे। इससे विधानसभा उपचुनाव से पहले कांगे्रस के हाथ कर्जमाफी का मुद़दा नहीं आता।

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