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    अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे बदल सकता है कैंपस प्रोटेस्ट, क्या कहते हैं सर्वे?

  • May 03, 2024


    नई दिल्ली. करीब दो हफ्तों के भीतर अमेरिका (America) के ज्यादातर बड़े विश्वविद्यालयों (Universities) में फिलिस्तीन (Palestine) समर्थक प्रोटेस्ट (Protest) होने लगा. स्टूडेंट (Student) कैंपस (Campus) के भीतर ही टेंट लगाकर रहने लगे. यहां तक कि उन्होंने तोड़फोड़ भी शुरू कर दी. अब अरेस्ट हो रहे हैं. कुछ ही दिनों के भीतर हजार से ज्यादा छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया, जो कैंपस से हटने को तैयार नहीं थे, या हिंसक प्रोटेस्ट कर रहे थे. नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हैं. मौजूदा सरकार से स्टूडेंट्स की नाराजगी यूथ वोट पर असर डाल सकती है.


    कोलंबिया कैंपस प्रदर्शन में क्या नया हुआ

    प्रदर्शनकारियों ने यूनिवर्सिटी की एक बिल्डिंग को कब्जे में ले लिया. दरवाजे बंद कर दिए गए. यहां तक कि खिड़कियों पर अखबार चिपका दिए गए. इससे भीतर का कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. बाद में इमारत पर फिलिस्तीन का झंडा फहरता दिखा. अंदर से प्रो-फिलिस्तीन नारेबाजियों हो रही थीं. आखिरकार पुलिसकर्मी खिड़कियों के रास्ते इमारत के भीतर घुसे और प्रदर्शनकारियों को बाहर निकाला.

    क्या है प्रदर्शनकारियों की डिमांड

    – स्टूडेंट्स की मांग है कि यूनिवर्सिटी उन प्रोडक्ट्स या कंपनियों से अलग हो जाएं, जो इजरायल से जुड़ी हुई हैं.
    – न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के छात्रों की मांग है कि उनकी यूनिवर्सिटी का कैंपस, जो कि इजरायल के तेल अवीव में है, बंद कर दिया जाए.
    – गाजा में स्थाई युद्धविराम की डिमांड हो रही है.
    – कई कैंपस गाजा में हुए नुकसान की भरपाई इजरायल समेत अमेरिका को करने की मांग कर रहे हैं.

    क्या बाइडेन के सहयोगी घट रहे

    इजरायल और आतंकी गुट हमास के बीच चल रही लड़ाई में अमेरिका हमेशा की तरह इजरायल के साथ दिख रहा है. जो बाइडेन सरकार कथित तौर पर डिप्लोमेटिक मदद के अलावा यहूदी देश की हथियारों और भी कई तरीकों से सहायता कर रही है. इस बीच अलग ट्रेंड दिख रहा है. वो युवा वोटर पहले डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बाइडेन के पक्ष में थे, वे घटने लगे.

    ऐसा नहीं है कि बाइडेन के खिलाफ सोच रहे युवा वोटर डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में वोट देंगे, बल्कि ये हो सकता है कि वे वोट ही न करें. ऐसे में बड़ा धक्का बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी को लगेगा, जिसका आधार युवा वोट हैं. गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, स्विंग स्टेट्स में चौंकाने वाली बात दिख रही है. वहां पोलिंग से पहले हुए सर्वे बताते हैं कि बाइडेन अपने विपक्षी ट्रंप से बहुत कम फर्क से आगे हैं.

    क्या कहते हैं सर्वे

    अप्रैल में हार्वर्ड की एक पोल में पाया गया कि यूथ वोटर जो कि बाइडेन को पहले सपोर्ट कर चुका, उसके बीच राष्ट्रपति की लोकप्रियता तेजी से कम हुई. पहले हुए चुनाव में 18 से 29 साल के युवा मतदाताओं के बीच बाइडेन अपने कंपीटिटर से 23 प्रतिशत आगे थे. अब ये अंतर घटकर केवल 8 प्रतिशत रह गया है. एक और सर्वे ये कहता है कि 51 फीसदी युवा अमेरिकी गाजा में सीजफायर चाहते हैं और अमेरिका-इजरायल दोस्ती के खिलाफ हैं. इस उम्र के सिर्फ 10 फीसदी लोगों ने फिलहाल दिखते अमेरिकी रवैये को ठीक बताया.

    डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए चिंता इसलिए भी है क्योंकि 18 से 29 साल के 60 फीसदी से ज्यादा युवाओं ने माना कि देश ‘गलत रास्ते’ पर निकल रहा है. मंगलवार को बाइडेन की समर्थक पार्टी- कॉलेज डेमोक्रेट्स ऑफ अमेरिका ने बाइडेन की पार्टी की आलोचना कर डाली.

    युवाओं के प्रदर्शन ने पहले भी बदली थी हवा

    साठ के दशक में कॉलेज छात्र अमेरिका के वियतनाम युद्ध के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे थे. तब राष्ट्रपति थे- लिंडन बी जॉनसन. प्रदर्शन इतने तेज हुए कि आखिरकार जॉनसन दूसरी बार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के आखिरी चरण तक नहीं पहुंच सके थे.

    विपक्ष को क्या होगा फायदा

    ये तो हुई बाइडेन के खिलाफ बनते माहौल की बात, लेकिन इसका सीधा फायदा विपक्षी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को मिल सकता है. ऐसा इसलिए है कि ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन्स के ज्यादातर लोग इजरायल के पक्ष में हैं. मार्च में हुए गैलप सर्वे में 71 प्रतिशत रिपब्लिकन्स ने माना कि वे इजरायल के गाजा में मिलिट्री एक्शन के साथ हैं. ट्रंप चूंकि लगातार सीधे ही इजरायल का सपोर्ट करते रहे तो एग्रेसिव तौर-तरीके का फायदा उन्हें मिल सकता है. यानी देखा जाए तो इजरायल के पक्ष में रहते हुए बाइडेन की स्थिति ‘न घर के, न घाट के’ बनती दिख रही है.

    फिलिस्तीन को छोड़ दें तब भी ट्रंप के पक्ष में माहौल बन रहा है. पिछले नवंबर में सिएना कॉलेज पोल्स और न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक सर्वे किया. इसके नतीजे चौंकाने वाले हैं, जिसके मुताबिक देश के 6 में से 4 स्विंग स्टेट्स में ट्रंप आगे रह सकते हैं. यहां बता दें कि स्विंग स्टेट वो राज्य हैं, जहां रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों को लगभग समान सपोर्ट मिलता रहा.

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