अभी नामांकन फार्म जमा करवाने, चुनाव कार्यालयों के उद्घाटन के साथ रूठने-मनाने और रणनीति में जुटे उम्मीदवार
इंदौर। अभी तो कांग्रेस और भाजपा (BJP) दोनों ही प्रमुख दलों को कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। टिकट से वंचित दावेदारों और उनके समर्थकों द्वारा कहीं पुतले फूंके जा रहे हैं, तो कहीं धक्का-मुक्की के साथ धरने प्रदर्शन और बड़े नेताओं की घेराबंदी की जा रही है और जब तक नामांकन फार्म जमा होने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर नहीं बीत जाएगी, तब तक कई सीटों पर टिकट बदलने की मांग भी की जाती रहेगी। अभी तो जो उम्मीदवार घोषित हो गए हैं वे नामांकन फॉर्म (Enrollment Form) जमा करने, अपने-अपने चुनाव कार्यालयों को खोलने, रुठों को मनाने और अन्य रणनीति बनाने में ही जुटे हैं और 1 नवम्बर के बाद ही चुनाव प्रचार-प्रसार जोर पकड़ेगा। आम जनता जहां अभी नवरात्रि में व्यस्त है, तो 1 नवम्बर के बाद दीपावली की तैयारियों में जुट जाएगी। हालांकि मतदान के पूर्व के 10 दिन ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण रहेंगे।
हर चुनाव में असंतुष्टों के विरोध का सामना राजनीतिक दलों और उनके बड़े नेताओं को करना पड़ता है, क्योंकि हर सीट से दावेदारों की संख्या एक से अधिक ही रहती है और टिकट किसी एक उम्मीदवार को ही दिया जा सकता है। और जिनको नहीं मिलता उनके साथ समर्थकों के साथ थोड़े दिन नाराजगी जाहिर की जाती है। कांग्रेस और भाजपा की अधिकांश लिस्ट जारी हो गई है और जो उम्मीदवार घोषित हो गए वे तो चुनावी तैयारियों में भिड़ गए। 21 अक्टूबर से नामांकन जमा होने का सिलसिला भी शुरू हो गया है और पहले दिन 17 उम्मीदवारों ने प्रदेशभर में 20 नामांकन जमा किए। आज सोमवार को भी नामांकन जमा होंगे। कल 24 अक्टूबर को दशहरे का अवकाश रहेगा, उसके पश्चात 28 और 29 अक्टूबर को शनिवार-रविवार की छुट्टी रहेगी। लिहाजा आज भी कई उम्मीदवार नामांकन जमा करेंगे और फिर 30 अक्टूबर को कांग्रेस और भाजपा के सारे उम्मीदवार अपनी पार्टी के बड़े नेताओं के साथ नामांकन भरने रैली के रूप में पहुंचेंगे। यानी अक्टूबर का पूरा महीना तो नामांकन फार्म जमा करने, चुनाव कार्यालयों के उद्घाटन के अलावा रूठने-मनाने की कवायद और अन्य रणनीति बनाने में ही निकल जाएगा। 1 नवम्बर से ही चुनाव प्रचार-प्रसार जोर पकड़ेगा। अभी तो वैसे भी जनता नवरात्री मनाने में व्यस्त है और चारों तरफ गरबों की धूम मची है। हालांकि सभी बड़े त्योहार इसी दौरान पड़ रहे हैं। उसका भी असर चुनाव प्रचार-प्रसार पर पड़ेगा, क्योंकि छोटे-बड़े व्यापारियों से लेकर आम जनता भी 1 नवम्बर के पश्चात दीपावली की तैयारियों में जुट जाएगी। घर-घर साफ-सफाई, रंगाई-पुताई से लेकर सजावट का अभियान चलता है। वैसे भी आखरी के 10 दिन ही राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे। 17 नवम्बर को मतदान होना है और उसके पूर्व पूरी तरह से ताकत झोंकी जाएगी। 12 नवम्बर को दीपावली है और 5 दिन दीप पर्व में ही सभी व्यस्त रहते हैं। ऐसे में मतदाताओं तक पहुंचना भी उम्मीदवारों के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा।
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