इंदौर। गणपति बप्पा, माताजी की मूर्तियां बनाने में रासायनिक व केमिकल पदार्थ का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। मिट्टी से निर्मित प्रतिमाओं को ही शहर में बनाने और बेचने की अनुमति दी जाएगी। अधिकारियों ने मूर्तिकारों की बैठक बुलाकर न केवल समझाया, बल्कि नियमों से भी वाकिफ कराया। मूर्ति निर्माण से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का इंदौर में कड़ाई से पालन करने के लिए कलेक्टर ने इस बार समय रहते ही मूर्तिकारों को समझाने की पहल की है।
मूर्ति निर्माण के पहले ही दिशा-निर्देशों के साथ-साथ सख्त कानून की भी जानकारी मूर्तिकारों को दी गई है। एडीएम रोशन राय ने बताया गया कि भगवान गणेश व माताजी की मूर्तियों के निर्माण में केवल उन प्राकृतिक सामग्रियों का ही इस्तेमाल किया जाए, जैसा कि पुराने धर्मग्रंथों में उल्लेखित है। मूर्तियों के निर्माण में परंपरागत मिट्टी का ही उपयोग किया जाए, पकी हुई मिट्टी, पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) या किसी प्रकार के केमिकल व रासायनिक वस्तुओं का उपयोग मूर्ति निर्माण में किया जाना प्रतिबंधित रहेगा। अभी सिर्फ समझाइश दी जा रही है। यदि इस तरह का निर्माण कार्य या मूर्तियां सामने आती हंै तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बाहर से आने वाली मूर्तियों और स्टॉक पर नजर
बाहर के जिलों से पीओपी की मूर्तियां बुलवाए जाने को लेकर भी इस बार प्रशासन सख्ती बरतने के मूड में है। परंपरागत मिट्टी छोडक़र अन्य पदार्थ जैसे पीओपी व अन्य रासायनिक पदार्थों से बनाई जानी वाली प्रतिमाओं के उत्पादन तथा विक्रय, बाहर ले जाने या बाहर से लाने को प्रतिबंधित किया गया है। यदि कहीं मूर्तिकारों द्वारा पूर्व में मूर्तियां निर्मित कर ली गई हों तो प्रतिमाओं के वर्तमान स्टॉक की जानकारी लिखित में प्रस्तुत करना होगी तथा उनके अतिरिक्त अन्य मूर्तियों का निर्माण नहीं किया जाएगा, यह लिखित में देना होगा। हालांकि इसका सत्यापन अधिकारियों से कराया जाएगा। नदी एवं तालाबों में गैरपारंपरिक वस्तुओं से निर्मित मूर्तियों का विसर्जन करने पर भी रोक लगा दी गई है। नगर निगम, स्थानीय निकायों द्वारा स्थानीय स्तर पर मूर्ति विसर्जन हेतु पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित स्थलों पर कुंड का निर्माण कराया जाएगा।
जलीय जीवन को बचाने प्राकृतिक रंग का इस्तेमाल करें
मूर्तियों पर रासायनिक रंगों के प्रयोग से जलीय जीवन खतरे में आ जाता है और तालाबों और जलाशय में भारी मात्रा में मछलियों की मौत के मामले भी सामने आए हैं, जिसे देखते हुए पीओपी के विकल्प के रूप में प्राकृतिक सामग्री जैसे पेपर आदि के इस्तेमाल की सलाह दी गई है, ताकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान की रोकथाम की जा सके। मूर्ति पर कलर हेतु केवल प्राकृतिक रंगों व गैरविषाक्त रंगों का ही इस्तेमाल किया जाए। किसी भी प्रकार के रासायनिक व विषाक्त रंगों का इस्तेमाल पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा।
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