कोलकाता। नारदा स्टिंग ऑपरेशन (Narda String Operation) मामले में गिरफ्तार किए गए ममता बनर्जी के दो मंत्री समेत चार नेता हाउस अरेस्ट रहेंगे। यह आदेश कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने दिया है। बता दें कि सीबीआई (CBI) ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के दो मंत्रियों और एक विधायक के साथ पार्टी के पूर्व नेता को सोमवार को गिरफ्तार किया था।
कोर्ट ने क्यों दिया हाउस अरेस्ट का आदेश
कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान जस्टिस रिजीत बनर्जी अंतरिम जमानत देने के लिए सहमत थे, लेकिन जस्टिस राजेश बिंदल जमानत के खिलाफ थे। पीठ इस मामले पर बंटी हुई थी, इसलिए जब तक मामले की सुनवाई बड़ी पीठ नहीं करती है, तब तक टीएमसी नेताओं के नजरबंद रखने का आदेश दिया गया।
नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामला है क्या?
साल 2014 में बंगाल के एक पत्रकार ने TMC के कुल 12 नेताओं का स्टिंग ऑपरेशन (Sting Operation) किया था। इनमें उस समय के 7 सांसद, ममता बनर्जी सरकार के 4 मंत्री और TMC का एक विधायक शामिल था। आरोप है कि ये सभी नेता Sting Operation में 5-5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे। ये टेप साल 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से महज कुछ पहले सार्वजनिक किए गए थे। कलकत्ता हाई कोर्ट ने मार्च 2017 में इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इन 12 आरोपियों में शुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का नाम भी शामिल है, जो पहले TMC में थे लेकिन अब बीजेपी में आ गए हैं।
शुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय पर कार्रवाई क्यों नहीं?
टीएमसी (TMC) का आरोप है कि जब CBI इस पूरे मामले की जांच कर रही है तो फिर कार्रवाई सिर्फ TMC के मंत्रियों और विधायकों पर क्यों हुई? तो इसका जवाब ये है कि शुवेंदु अधिकारी, सौगत रॉय, काकोली घोष और प्रसून बनर्जी के खिलाफ CBI ने कार्रवाई की अनमुति मांगी हुई है, लेकिन लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने अब तक इस पर अपनी सहमति नहीं दी है, जिसकी वजह से कार्रवाई रुकी हुई है। ये सभी 2014 में TMC के सांसद थे और CBI को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोक सभा स्पीकर की अनुमति जरूरी है।
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