नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के नामांकन के दौरान हुई हिंसा के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिए हैं. बंगाल राज्य के विपक्षी दलों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम शामिल थे. उनका आरोप था कि कुछ उम्मीदवारों के नाम कैंडिडेट्स की लिस्ट से गायब हो गए हैं.
इस मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस अमृता सिन्हा ने पंचायत चुनाव की हिंसा पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा, “पंचायत चुनाव में इतनी हिंसा देखी गई है. अगर ऐसा ही रक्तपात चलता रहा तो चुनाव को रोक देना चाहिए.” हाईकोर्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट भी बंगाल पंचायत चुनाव की हिंसा पर सख्त टिप्पणी कर चुका है.
7 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने के आदेश
वाम मोर्चा ने आरोप लगाया गया कि राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई लिस्ट में उनके उम्मीदवारों के नाम नहीं थे. कोर्ट ने एसईसी को लिस्ट में उम्मीदवारों के नाम शामिल करने का आदेश दिया. जस्टिस अमृता ने चुनाव से पहले हुई व्यापक हिंसा मामले में मतदान से 1 दिन पहले 7 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं.
दस्तावेजों से छेड़छाड़ से जुड़ा मामला
हाई कोर्ट ने दस्तावेजों से छेड़छाड़ से जुड़े आरोपों को भी सुना, जिसके कारण दो उलुबेरिया ब्लॉकों में दो उम्मीदवारों ने जांच प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया. क्षेत्र के बीडीओ ने भी इस मामले की शिकायत पर विचार करने से इनकार कर दिया था. क्योंकि बीडीओ राज्य सरकार का कर्मचारी है, इसलिए मामले की जांच सीबीआई से कराने को कहा गया है.
केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग
बंगाल में यह पहली बार नहीं है जब चुनावों के दौरान हिंसा देखने को मिल रही हो. इससे पहले भी चुनावों के दौरान कई बार ऐसा हो चुका है. इस बार भी कई जिलों में हिंसा देखने को मिल रही है. ऐसे में कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शिवगणमन और जस्टिस उदय कुमार की पीठ ने चुनाव खत्म होने तक शांति बनाए रखने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की है.
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