कोलकाता। पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों में 269 शिक्षकों की नियुक्ति की जांच का जिम्मा कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा है। आरोप है कि शिक्षकों ने पात्रता परीक्षा पास नहीं की है। यह सब तब हुआ है जब भर्ती में कथित अनियमितताओं के संबंध में मामला दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
दरअसल, मामले में पात्रता परीक्षा में भाग लेने वाले एक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि लगभग 23 लाख उम्मीदवारों में से 269 अभ्यर्थियों को गलत प्रश्न के लिए एक अंक अतिरिक्त दिया गया था। इसके बाद आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव रत्न चक्रवर्ती बागची और अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य को सीबीआई कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने सीबीआई को प्राथमिक विद्यालयों में कथित अवैध नियुक्तियों के संबंध में मामला दर्ज करने और जांच शुरू करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से इन 269 लोगों की नियुक्ति रद्द करने को कहा। सीबीआई को सोमवार शाम पांच बजे तक मामला दर्ज करने को कहा गया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पारित किया, जिन्होंने पहले स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा हाई स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती की सीबीआई जांच का आदेश दिया था और उप शिक्षा मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी की नियुक्ति को भी रद्द कर दिया था। पूर्व शिक्षा मंत्री तृणमूल कांग्रेस (TMC) के महासचिव पार्थ चटर्जी और अधिकारी से एसएससी मामले में सीबीआई ने पूछताछ की है कि अयोग्य लोगों को रिश्वत देने के बाद नौकरी मिली है।
उधर जिन आवेदकों को नौकरी नहीं मिली, उन्होंने अपने वकीलों के माध्यम से अदालत को बताया कि पात्रता परीक्षा में असफल होने वालों में से कई को अतिरिक्त अंक देकर भर्ती किया गया था। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने अदालत को बताया कि टीईटी में फेल होने वालों में से कई 2017 में नियुक्त किए गए थे।
न्यायाधीश ने प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य और बोर्ड के सचिव रत्ना बागची चक्रवर्ती को सोमवार शाम 5 बजे सीबीआई के सामने पेश होने का आदेश दिया। दोनों ने आदेश का पालन किया। रात नौ बजे तक उनसे पूछताछ की गई। शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि मामला विचाराधीन है।
हालांकि उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जांच के दायरे में आने वाले उम्मीदवार 2015 में टीईटी के लिए उपस्थित हुए थे और परिणाम 2016 में घोषित किए गए थे, यह दर्शाता है कि वह उस समय शिक्षा मंत्री नहीं थे। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 2021 में तीसरी बार सत्ता में आने के बाद बसु शिक्षा मंत्री बने।
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