कोलकाता । तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राष्ट्रीय महासचिव (National Secretary General) और सांसद अभिषेक बनर्जी (MP Abhishek Banerjee) को राहत देते हुए (Giving Relief) कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta HC) ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया (Dismisses Plea), जिसमें बनर्जी की ओर से 28 मई को की गई न्यायपालिका विरोधी टिप्पणियों के लिए (For Anti-Judiciary Remark) उनके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेने (Taking Suo Motu) की मांग की गई थी (Was Demanded)।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कौस्तव बागची ने सोमवार को न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति अजय कुमार मुखर्जी की खंडपीठ का ध्यान आकर्षित किया और अभिषेक बनर्जी के खिलाफ उनकी टिप्पणियों के लिए स्वत: संज्ञान लेने की मांग की। याचिकाकर्ता ने कहा कि अभिषेक बनर्जी की टिप्पणी अदालत की अवमानना के समान है और इसलिए उनके खिलाफ न्यायिक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।
मामला सोमवार दोपहर सुनवाई के लिए सामने आया, जिस दौरान खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर न्यायिक कार्यवाही की कोई जरूरत नहीं है। खंडपीठ के अनुसार, अगर अदालत हर किसी की हर टिप्पणी का संज्ञान लेती है तो न्यायिक कार्य प्रणाली के साथ आगे बढ़ना मुश्किल होगा।
खंडपीठ के अनुसार, देश की न्यायिक व्यवस्था इतनी नाजुक नहीं है कि इस तरह की टिप्पणियां इसकी पवित्रता को बाधित कर सके और इसलिए टिप्पणियों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए। हालांकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि उसे उम्मीद है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस तरह के सार्वजनिक बयान देने में सावधानी बरतनी चाहिए।
28 मई को, पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के हल्दिया के औद्योगिक टाउनशिप में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए, अभिषेक बनर्जी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच के लगातार आदेशों की पृष्ठभूमि में न्यायपालिका के एक वर्ग के खिलाफ तीखा हमला बोला था।
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