नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ( Piyush Goyal), रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन को भेजे गए एक पत्र में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट Cait) ने ऑनलाइन बिक रही दवाओं के गैर-कानूनी बाजार पर अंकुश लगाने की मांग की है।
कैट ने एक बयान जारी कर कहा कि ई-कॉमर्स चैनलों के माध्यम से अवैध तरीके से दवाओं को बेचकर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का सीधा उल्लंघन किया जा रहा है। कारोबारी संगठन के मुताबिक इससे मेडिसिन रिटेलर्स, केमिस्ट आदि सेक्टर से जुड़े लाखों लोगों के कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जो सही मायने में कानून और नियमों के सभी प्रावधानों का पालन करके जरूरतमंद लोगों को दवाएं मुहैया करा रहे हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने पीयूष गोयल को भेजे गए पत्र में कहा है कि तेमासेक के धर्मेस सेठ एंड इन्वेस्टमेंट, प्रशांत टंडन की 1mg, सिकोइया जो अब टाटा ग्रुप में मर्ज हो गया है, रिलायंस ग्रुप के स्वामित्व वाले नेटमेड और वालमार्ट के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी कंपनियां ऑनलाइन फार्मेसी के बाजार को दूषित किए हुए है। इन बड़ी कंपनियों के चलते रिटेल केमिस्ट और डिस्ट्रीब्यूटर्स को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इन कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक प्रथाओं जैसे कि मनचाहे मूल निर्धारण, कैपिटल डंपिंग, और गहरी छूट रिटेल केमिस्ट बाजार को भुखमरी की कगार पर पहुंचा दिया है।
खंडेलवाल ने कहा कि रिटेल केमिस्ट और वितरकों सहित दवा पुनर्विक्रेता देशभर के जरूरतमंद मरीजों के लिए संपर्क के पहले बिंदु हैं। लेकिन, इन ई-फार्मेसी कंपनियों के पीछे बड़ी वदेशी फंडिंग होने की वजह से ये कम से कम दामों पर दवाएं बेच रहे हैं जिसका मुक़ाबला हर गली नुकड़ वाले केमिस्ट के छोटे दुकान नहीं कर सकते। कारोबारी नेता ने कहा कि कोरोना महामारी ब्रिक-एंड-मोर्टार फार्मेसियों के लिए विशेष रूप से कठिन रही है, जो बेहद कम मार्जिन पर काम करते हैं और ई-फार्मेसियों द्वारा उनके ग्राहकों पर कब्जा उनकी मुसीबतों को और दोगुना कर रहा है।
कैट महामंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के बाद अक्टूबर, 2020 में दुकानों के खुलने के बाद ई- फार्मा कंपनियां जैसे कि मेडलाइफ और फार्म इजी ने ऑनलाइन 30 फीसदी की छूट जैसे भारी डिस्काउंट दिए। इसके अलावा बाजार पर पूरी तरह कब्ज़ा करने के लिए 20 फीसदी कैश बैक और फ्री डिलीवरी की सुविधा भी दी, जिसका अर्थ ये हुआ कि कुल 40 से 45 फीसदी डिस्काउंट और फ्री डिलीवरी जैसी लोक-लुभावनी स्कीमें ग्राहकों को दी गई। इस तरह के मनचाही कीमत बाजार पर पूरी तरह कब्जा हासिल करने के इरादे से ही दी गई। इसके अलावा मेड लाइफ़ और 1mg जैसी दुकानों ने 25 फीसदी डिस्काउंट ऑफर्स दिए, जिससे बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ। कोरोना महामारी के ठीक बाद दवाओं के बाजार में 75 फीसदी की छूट दिन दहाड़े लूट के समान है जिससे न केवल रिटेल फार्मेसी का बाजार प्रभावित हुआ, बल्कि अनुचित प्रतिस्पर्धा भी शुरू हो गई जिसके दूरगामी परिणाम कभी अच्छे नही हो सकते।
खंडेलवाल ने कहा कि ऑनलाइन उपभोक्ता डेटा का उपयोग करके जो अन्यथा पारंपरिक रिटेल फार्मेसी के पास उपलब्ध नही होता, इन ई-फार्मेसियो ने महीने की शुरुआत में 30 फीसदी की न्यूनतम छूट की पेशकश की और विश्लेषण और परिणामी प्रवृत्ति को पूरा करने के लिए महीने के अंत में लगभग 40 फीसदी की छूट दी। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऑनलाइन माध्यम से दवाओं और दवाओं की बिक्री अवैध है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट-1940 के तहत पर्चे वाली दवाओं की होम डिलीवरी की अनुमति नहीं है। इसके अलावा ये नामुमकिन है कि ये बड़ी ई-फार्मेसी कंपनियां बिना किसी विदेशी आर्थिक मदत के 30 से 40 फीसदी डिस्काउंट दे पाए। इस तरीके का असंतुलित बाज़ार रिटेल फार्मेसी के लिए बेहद घातक साबित हो रहे है। (एजेंसी, हि.स.)
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