नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने जीएसटी काउंसिल की कपड़ा उत्पादों पर शुल्क दर (GST Council’s duty rate on textile products) 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने के फैसले को टालने का स्वागत किया है। कारोबारी संगठन ने जीएसटी काउंसिल के इस निर्णय को तार्किक और वक़्त की जरूरत बताया।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सरकार के इस फैसले का देशभर के व्यापारियों की ओर से स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि इससे देश के लाखों कपड़ा व्यापारियों को राहत मिलेगी, जो पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से बेहद तनाव की जिंदगी जी रहे थे। खंडेलवाल ने यह भी कहा कि कपड़े की तरह फुटवियर पर भी जीएसटी शुल्क दर बढ़ाने के निर्णय को स्थगित करना भी जरूरी है।
खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी काउंसिल का यह निर्णय इस बात को दर्शाता है कि किस प्रकार देश के अधिकांश राज्यों के राजनेता अफसरशाही के हाथों की कठपुतली बनकर रह गए हैं, जो कोई भी निर्णय लेने से पहले उसके गुण-दोष पर विचार-विमर्श तक नहीं करते हैं। व्यापारियों से सलाह लेने की बात तो बहुत दूर है। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमणन से आग्रह किया कि जीएसटी के विभिन्न मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करने, राजस्व में वृद्धि करने तथा जीएसटी का कर दायरा बढ़ाने के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक ‘टास्क फोर्स’ का गठन किया जाए, जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित व्यापार जगत के प्रतिनिधि भी शामिल हों।
कैट महामंत्री ने कहा कि कारोबारियों ने इस मुद्दे को विगत एक महीने से पूरे देश में उठाया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं केंद्रीय वाणिज्य एवं कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल से मिलकर इसका विरोध जताते हुए वापस लेने की मांग की। देश के सभी राज्यों के कैट चैप्टरों ने अपने राज्य के वित्त मंत्रियों एवं अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन देकर इस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की। खंडेलवाल ने बताया कि कैट के नेतृत्व में इन मुद्दे पर दिल्ली, सूरत, मुंबई, इचलकरंजी, कोयम्बटूर, तिरुपति, श्रीनगर, भोपाल, ग्वालियर, रायपुर, नागपुर, लखनऊ, कानपुर, आगरा आदि शहरों में कपड़ा एवं फुटवियर ट्रेडर ने भी 30 दिसंबर को अपना कारोबार बंद रखा।
खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी को लागू हुए 4 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अभी तक यह एक स्थिर कर प्रणाली नहीं बन पाई है। जीएसटी पोर्टल भी सही तरीके से काम नहीं कर रहा है, जिसकी वजह से ये उम्मीदों के विपरीत विसंगतियों के कारण बहुत जटिल कर प्रणाली बन गई है। खंडेलवाल ने कहा कि पूर्व में कैट ने केंद्र सरकार एवं जीएसटी काउंसिल से पूरी जीएसटी कर प्रणाली पर नए सिरे से विचार कर इसे सरल बनाने की मांग की थी, ताकि देशभर के ज्यादा से ज्यादा व्यापारी जीएसटी के तहत पंजीकरण कर व्यापार करें और सरकार का राजस्व भी बढ़े। उन्होंने जीएसटी और ई-कॉमर्स पर व्यापक विचार करने तथा भविष्य की रणनीति तय करने के लिए आगामी 11-12 जनवरी को कानपुर में देश के 100 से ज्यादा प्रमुख व्यापारी नेताओं का एक दो दिवसीय राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन बुलाया है। (एजेंसी, हि.स.)
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