नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने एफडीआई नीति और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का अमेजन तथा फ्लिपकार्ट द्वारा खुले तौर पर उल्लंघन करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र भेजा है। कैट ने सोमवार को इस संबंध में प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में इसकी जांच में तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह भी किया है।
कारोबारी संगठन कैट ने कहा है कि विभिन्न सरकारी विभागों एवं एजेंसियों के साथ लंबे समय से अनेक शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद संबंधित अधिकारियों ने कोई अहम कार्रवाई नहीं की है। यही वजह है कि ये विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां अभी भी कानून के खुले उल्लंघन में लगी हुई हैं। कैट का कहना है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों की फिलहाल चल रही फेस्टिव सेल सरकार की एफडीआई नीति और शर्तों का घोर उल्लंघन का जीवंत उदाहरण है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि देश का व्यापारिक समुदाय इस नतीजे पर पहुंचा है कि सरकार ने इन कंपनियों को अपनी पूरी क्षमता से कानून का उल्लंघन जारी रखने की छूट दी है। यह भी माना जा रहा है कि सरकार के कुछ अधिकारियों का उन्हें संरक्षण प्राप्त है, यही वजह है कि सरकार द्वारा बनाए जाने वाले नियम एवं नीति पिछले दो वर्ष से लंबित है।
खंडेलवाल ने कहा कि देशभर में न केवल व्यापारियों, बल्कि आम जनता में व्याप्त इस धारणा को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कानून के किसी भी उल्लंघन के लिए शून्य सहिष्णुता वाली मानसिकता और नीति रखते है। देश में छोटे व्यवसायों के व्यापार में वृद्धि के लिए एक चैंपियन के रूप में कार्य करते हैं, तो फिर क्यों भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय की वर्तमान निराशाजनक तस्वीर पूरी तरह से अलग है और सरकारी विभाग प्रधानमंत्री के निर्धारित मापदंडों और दिशानिर्देशों के विपरीत है।
कैट महामंत्री ने कहा कि 2016 से ये कंपनियां कानूनों और नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं, लेकिन करीब 5 साल बीत जाने के बाद भी अधिकारियों को साक्ष्य के साथ कई शिकायतें करने के बावजूद उन कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि 2016 से मसौदा तैयार करने के चरण में है, जो इन कंपनियों को ई-कॉमर्स व्यवसाय में अपनी नापाक गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दे रहा है। खंडेलवाल ने कहा कि हाल ही में मीडिया रिपोर्ट में अमेजन ने कानूनी सलाह के लिए धन के दुरुपयोग पर एक आंतरिक जांच शुरू कर दी है, जिसमें कहा गया था कि लीगल फीस के जरिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी गई है।
खंडेलवाल ने कहा कि अमेजन के अपने स्वयं के विभिन्न विभागों में जमा दस्तावेजों के साथ अधिकारियों को रिश्वत देने पर दिया गया स्पष्टीकरण मेल ही नहीं खाता। उन्होंने कहा कि केवल दो साल में कानूनी और व्यावसायिक शुल्क के लिए 5262 करोड़ रुपये का भुगतान दिखाया गया है, जो कुल बिक्री का लगभग 8 फीसदी है। लेकिन, अमेजन ने अपने स्पष्टीकरण में इस राशि को केवल 52 करोड़ रुपये बताया है। इतना बड़ा खर्च भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) और देश के अन्य कानूनों के तहत तत्काल जांच का मामला बनात है। उन्होंने कहा कि इसको देखते हुए देश के व्यपारी यह समझने को मजबूर है कि एजेंसियों के लिए कुछ भी नहीं हुआ है या “सब चलता है” रवैया और मानसिकता देश में प्रचलित है और यही कारण है कि कैट ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। (एजेंसी, हि.स.)
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