– कारोबारियों ने प्लास्टिक पर बैन के पालन के लिए एक साल का मांगा समय
नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने सिंगल यूज प्लास्टिक (single use plastic) पर लागू प्रतिबंध का पालन (observance of restrictions) करने के लिए सरकार से एक साल का वक्त देने की मांग (demand for one year) की है। कारोबारी संगठन ने रविवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को इसके लिए एक पत्र भेजा है। कैट ने पर्यावरण मंत्री से व्यापारियों के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के कार्यान्वयन के लिए बाध्यकारी तरीकों के बजाय एक सुलह दृष्टिकोण के साथ एक साल की लीन अवधि का आग्रह किया है।
कैट ने जारी एक बयान में कहा कि जन-धन योजना की तर्ज पर सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के लिए एक जन जागरूकता आंदोलन चलाया जाए, ताकि व्यापारियों के साथ-साथ लोगों को इस प्रतिबंध को पूरी तरह लागू करने का कुछ वक्त मिल सके। वहीं, इसका समुचित विकल्प तलाशने और एक राष्ट्रव्यापी बृहद जागरूकता अभियान चलाये जाने की जरूरत है।
कारोबारी संगठन ने कहा कि इसके लिए अधिकारियों और स्टेकहोल्डर्स की एक संयुक्त समिति, निर्माण इकाइयों के लिए अपने व्यवसाय को अन्य विकल्पों में बदलने के लिए सरकार की एक नीति बनें, जिससे बेरोजगारी न फैले।
कैट के राष्ट्रीय राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने भूपेंद्र यादव को भेजे पत्र में कहा कि चूंकि यह परिवर्तन का समय है इसलिए सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कम से कम हो। इसको चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए गंभीर पहल की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार का काम नीति बनाना और आदेशों को लागू करना है, जिससे लक्ष्य को हासिल किया जा सके। लेकिन, इसके लिए एक व्यापक सहयोग और भागीदारी दृष्टिकोण को अपनाने की जरूरत है, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘सहभागी शासन’ के तहत किया है। इसके साथ ही खंडेलवाल ने मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों से भी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने जैसी बाध्यकारी कदम उठाने का आग्रह किया है।
खंडेलवाल ने पर्यावरण मंत्री से प्रतिबंध को लेकर संबंधित विभागों को निर्देश देने का आग्रह किया है ताकि, वे इसको लेकर किसी भी व्यापारी या इकाई के खिलाफ कम से कम पहले वर्ष में कोई सख्त कार्रवाई न करें। कैट महामंत्री ने सभी स्टेकहोल्डर्स के सहयोग से एक प्रभावी राष्ट्रीय अभियान की शुरुआात करने का आग्रह किया, जिससे यह जन-धन योजना अभियान की तरह एक राष्ट्रीय आंदोलन बन सके। उन्होंने इसके लिए सरकारी अधिकारियों और स्टेकहोल्डर्स के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति गठित करने का भी सुझाव दिया, जिसमें सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए समान विकल्प सुझाने और विकसित करने के लिए समयबद्ध सीमा तय हो। इससे बिना किसी व्यवधान के देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद हो सके।
कैट महामंत्री ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों ने भी प्लास्टिक प्रदूषण से अपने को मुक्त करने के लिए चरणबद्ध तरीका ही अपनाया है। खंडेलवाल ने कहा कि पिछले चार दशकों से ज्यादा की अवधि में एकल उपयोग प्लास्टिक का प्रचलन लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल सामानों की पैकेजिंग में होता है क्योंकि, इसकी कीमत कम होती है, जो आसानी से उपलब्ध है। लेकिन, अभी तक इसका विकल्प या तो उपलब्ध नहीं हैं या फिर सिंगल यूज प्लास्टिक की कीमत की तुलना में बहुत महंगा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल व्यापक है, जिसमें खाद्य प्रबंधन, भंडारण, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल, परिवहन, ऊर्जा प्रबंधन, भवन निर्माण और पैकेजिंग आदि जैसे उद्योग शामिल हैं। ऐसे में एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग पर तत्काल प्रतिबंध लगने से विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कई आर्थिक गतिविधियों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इसलिए चरणबद्ध तरीके से इसका कार्यान्वयन जरूरी है।
खंडेलवाल ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक देश में लाखों लोगों को रोजगार देने और 60 हजार करोड़ रुपये से जयादा का सालाना कारोबार करने वाला एक बड़ा उद्योग बन गया है। इसके लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने बड़े पैमाने पर कर्ज दिया हुआ है। इस लिहाज से बिना कोई समुचित और वैकल्पिक व्यवस्था के सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध से आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा वित्तीय नुकसान के साथ बेरोजगारी भी बढ़ने की संभावना है। ऐसे में इन इकाइयों के लिए वैकल्पिक उत्पादों में बदलने या अर्थव्यवस्था से संबंधित किसी अन्य गतिविधि के लिए सरकार के समर्थन से एक नीति बनाने का आग्रह उन्होंने किया है। (एजेंसी, हि.स.)
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