नई दिल्ली। भारतीय स्टार्ट-अप्स में चीनी निवेशों पर सवाल खड़ा करते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजा है। इसमें विभिन्न सेक्टर में काम करने वाली भारतीय कंपनियों में चीनी कंपनियों के निवेश का जिक्र किया गया है। कैट का मानना है कि चीनी निवेश एक सुनियोजित तरीके से भारतीय इन्नोवेशन और टेक्नोलॉजी पर चीनी कब्जे का एक रणनीतिक कदम है। व्यापारिक संगठन ने पीयूष गोयल से ऐसी सभी भारतीय कंपनियों की जांच कराने की मांग की है।
कैट ने इस संबंध में 141 प्रमुख भारतीय स्टार्ट-अप्स की सूची वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजी है, जिनमें चीनी निवेश हैं। ये भारतीय कंपनियां आतिथ्य, दैनिक उपभोग्य सामग्रियों, खाद्य वितरण, सूचना प्रौद्योगिकी, रसद, भुगतान ऐप, ई-कॉमर्स, यात्रा, परिवहन, फार्मास्यूटिकल्स, बीमा, शेयर बाजार, स्वास्थ्य देखभाल, नेत्र देखभाल, खेल ऐप वगैरह से संबंधित हैं। इस सूची के मुताबिक विविध क्षेत्रों में चीनी कंपनियों ने अर्थव्यवस्था के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों को निवेश के लिए पकड़ा है।
कैट के राष्ट्रीय राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल इन कंपनियों की जांच की मांग करते हुए कहा कि जांच अनेक प्रासंगिक प्रश्नों पर आधारित हो, जिसमें मुख्य रूप से भारतीय कंपनियों में चीनी निवेश का अनुपात कितना है। इन कंपनियों द्वारा अर्जित डेटा भारत में या विदेश में है। डेटा की सुरक्षा और सावधानियां और क्या कोई भी भारतीय स्टार्ट-अप चीनी तकनीक का उपयोग कर रहा है। यदि ऐसा है तो इनमें किसी भी तरह की अंतर्निहित जासूसी तकनीक तो नहीं है। जैसे सवाल बेहद महत्वपूर्ण है।
खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि चीन विश्व के अनेक देशों में विभिन्न तरीकों के साथ जासूसी करता है। ये दूर-दराज, संवेदनशील खुफिया सूचनाओं तक पहुंच हासिल करने के लिए साइबर जासूसी समेत कई तरह के हथकंडे अपनाता है। चीन अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सूचना एकत्र करने के उद्देश्य से वित्तीय और औद्योगिक जासूसी में भी लगा हुआ है। साथ ही विदेशों में असंतोष की निगरानी भी करता है। खासकर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, फ्रांस सहित विभिन्न देशों में चीनी घुसपैठ के संदेह वाले कंप्यूटर घुसपैठ के कई मामले पाए गए हैं।
कैट महासचिव ने कहा की सार्वजनिक सूचना तंत्र में उपलब्ध जानकारियों में कहा गया है कि चीन न केवल चीनी खुफिया सेवाओं बल्कि राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों, सामान्य रूप से निजी कंपनियों, कुछ प्रकार के स्नातक छात्रों सहित कई तरीकों के माध्यम से इन्नोवेशन की चोरी करने के लिए नए-नए तरीके अपनाने में अग्रणी है। खंडेलवा का कहना है कि भारत में जिस तरीके से चीनी कंपनियों द्वारा निवेश किया गया है, वो इस तरह के निवेश के पीछे के वास्तविक सत्य को समझने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय स्टार्ट-अप के कामकाज और व्यापार मॉड्यूल की गहराई से जांच करने की जरुरत है। (एजेंसी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved