नई दिल्ली: ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे के मामले में रेल मंत्री अश्विनी वैश्णव ने रविवार को कहा था कि हादसे की वहज का पता चल गया है. हालांकि इस मामले में कंट्रोलर और ऑडिटर जनरल (CAG) 2022 की रिपोर्ट ‘डिरेलमेंट इन इंडियन रेलवेज’ के मुताबिक रेलवे को दिए गए स्पेशल रेलवे फंड का इस्तेमाल नहीं किया है. इस फंड का प्राथमिकता पर रेलवे के ट्रैक के नवीनीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
रेलवे सेफ्टी फंड यानी राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोश (RRSK) एक रिजर्व फंड है जो कि 2017-18 से अगले पांच साल तक के लिए सरकार की ओर से रेलवे को 1 लाख करोड़ रुपये कोष प्राप्त हुआ था. CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-21 के बीच इस फंड का कई जगहों पर गलत इस्तेमाल किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक इन सालों में कुल 1127 डिरेलमेंट की घटनाएं हुई हैं. जिनमें से 289 घटनाएं ट्रैक रिनेवल (ट्रैक की नवीनीकरण) नहीं होने की वजह से हुई है. जो कि कुल घटनाओं का 26 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले सालों में इस फंड के उपयोग में गिरावट देखी गई है, इतना ही नहीं ट्रैक के नवीनीकरण के लिए भी जो फंड आया था उसका भी सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा बताया गया है कि ट्रैक नवीनीकरण के कार्यों के समय पर पूरा नहीं होने से इसके प्रतिकूल प्रभाव होंगे.
रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक ओवरऑल देखा जाए तो प्राइटी 1 वाले कामों में RRSK फंड्स के खर्च में गिरावट देखी गई है जो कि 2017-18 में 81.55 प्रतिशत था जिसमें कुल 13,652 करोड़ खर्च हुआ था. वहीं 2019-20 में इस फंड का कुल 73.76 प्रतिशत फंड ही इस्तेमाल किया जा सका है जिसमें कुल खर्च 11,655 करोड़ रुपये खर्च किये जा सके. वहीं अगर रेलवे टैक्स के नवीनीकरण के लिए जारी किए गए फंड्स की बात करें तो 2018-19 में 9607.65 करोड़ खर्च हुआ था जो कि 2019-20 में आते-आते 7417 करोड़ रह गया.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसका सबसे बड़ा कारण प्रतिकूल आंतरिक संसाधन स्थिति रहा जिसकी वजह से रेलवे ने RRSK के फंड का सही इस्लेमाल नहीं किया. हालांकि इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि जो गैर प्राथमिकता वाले फंड्स हैं, उनके खर्च करने में बढ़ोत्तरीी हुई है. 2017-18 में 2.76 प्रतिशत यह कोष खर्च किया गया है जिसमें कुल राशि 463 करोड़ खर्च की गई. जबकि 2019-20 में इस फंड से 6.35 प्रतिशत हो गया, जिसमें कुल 1004 करोड़ रुपये खर्च किए गए. यह परिस्थिति RRSK के सिद्धांतों के खिलाफ है.
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