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    CAA के खिलाफ उठी आवाज, जाने जामिया से असम तक कहां-कहां हुआ विरोध प्रदर्शन

  • March 12, 2024

    नई दिल्‍ली (New Delhi) । भारत (India) में सीएए (CAA) यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम-2019 लागू हो चुका है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से ठीक पहले सोमवार को सीएए को लागू करने की घोषणा की। विवादास्पद कानून को पारित किए जाने के चार साल बाद केंद्र के इस कदम के कारण पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि कानून के लागू होते ही देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो रहे हैं। बता दें कि इसके पहले सीएए विरोधी प्रदर्शनों या पुलिस कार्रवाई के दौरान 100 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

    असम में विपक्षी दलों ने सोमवार को सीएए लागू करने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की आलोचना की। वहीं, राज्यभर में सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के एक समूह और प्रभावशाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) सहित लगभग 30 छात्र संगठनों और स्वदेशी निकायों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करने का फैसला किया है। वहीं, 16 दल वाले संयुक्त विपक्षी मंच, असम (यूओएफए) ने मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा भी की है।

    ज्ञात हो कि असम में दिसंबर 2019 में विवादास्पद कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन देखा गया था। इसके बाद पुलिस कार्रवाई में 5 लोगों की मौत हो गई थी। कई स्वदेशी समूहों में यह डर है कि सीएए लागू होने के बाद, इससे राज्य में अवैध अप्रवासियों की आमद बढ़ जाएगी, खासकर बांग्लादेश से आने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।

    एएएसयू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने हमारे सहयोगी हिन्दुस्तान टाइम्स (एचटी) को बताया, “हम किसी भी तरह से सीएए को स्वीकार नहीं करेंगे और असम के लोगों के लिए हानिकारक इस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण, अहिंसक और लोकतांत्रिक विरोध जारी रहेगा और आने वाले दिनों में यह विरोध और तेज होगा।” उन्होंने कहा कि एएएसयू और 30 अन्य समूह सोमवार शाम को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में सीएए की प्रतियां जलाएंगे, जिसके बाद नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (एनईएसओ) के बैनर तले मंगलवार को पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानी में इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।


    उन्होंने कहा, “मंगलवार शाम को पूरे असम में मशाल रैली निकाली जाएगी और आने वाले दिनों में अन्य विभिन्न तरीकों से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। हमने सीएए के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए पहले ही आवेदन कर दिया है।” असम में 16 विपक्षी दलों के मंच, कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त विपक्षी मंच (यूओएफ) और प्रभावशाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) सहित लगभग 30 संगठनों ने लोकसभा चुनावों से पहले सीएए के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय असम दौरे के दौरान शनिवार को विपक्षी दलों ने कालियाबोर में धरना-प्रदर्शन किया था। सीएए को आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किए जाने के अगले दिन पार्टियां राज्यव्यापी बंद बुलाने और यहां तक कि राज्य सचिवालय का ‘घेराव’ करने की योजना बना रही हैं। इससे पहले 29 फरवरी को, यूओएफ ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें अधिनियम को निरस्त करने और असम में इसे लागू न करने की मांग की गई थी।

    सीएए के लागू होने से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने वर्ष 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान और उनके निष्कासन की मांग को लेकर छह वर्षीय आंदोलन की शुरुआत की थी। एएएसयू ने कहा कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी। एएएसयू और 30 गैर-राजनीतिक संगठनों ने गुवाहाटी, कामरूप, बारपेटा, लखीमपुर, नलबाड़ी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट और तेजपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में अधिनियम की प्रतियां जलाईं और विरोध रैलियां निकालीं।

    केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नागरिकता अधिनियम में संशोधन की दिशा में आगे बढ़ने के बाद असम और कई अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध प्रदर्शन देखा गया था। असम में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व मुख्य रूप से एएएसयू और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने किया था। क्षेत्र के लोगों के एक वर्ग को डर था कि अगर सीएए लागू हुआ तो इससे उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।

    जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्रदर्शन शुरू
    सीएए लागू किए जाने के कुछ घंटों बाद सोमवार को यहां दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया, जिसके कारण परिसर में भारी पुलिस तैनात किया गया। मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (एमएसएफ) की अगुवाई में विद्यार्थियों के एक समूह ने मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस से संबद्ध भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) ने भी सीएए लागू किये जाने का विरोध किया।

    पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परिसर के बाहर भीड़ को जमा होने से रोकने के लिए जामिया परिसर के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जामिया के कार्यवाहक कुलपति इकबाल हुसैन ने कहा, ”हमने परिसर में किसी भी तरह के आंदोलन को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। परिसर के पास विद्यार्थियों या बाहरी लोगों को सीएए के खिलाफ किसी भी तरह का विरोध-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

    एक वीडियो सामने आया है, जिसमें विद्यार्थियों का एक समूह पोस्टर और बैनर लेकर जामिया परिसर में सीएए और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के खिलाफ नारेबाजी करता हुआ दिखाई दे रहा है। एनएसयूआई की जामिया इकाई ने एक बयान में कहा, ”एनएसयूआई जामिया मिलिया इस्लामिया असंवैधानिक सीएए को लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध जताता है।”

    जेएनयू ने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की
    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने सोमवार को एक परामर्श जारी करके छात्रों से सतर्क रहने और परिसर में ‘‘शांति एवं सद्भाव’’ बनाए रखने की अपील की। यह परामर्श ऐसे समय में जारी किया गया, जब केंद्र सरकार ने सीएए को लागू करने की घोषणा की। देर शाम जारी परामर्श में कहा गया, ‘‘परिसर में जारी छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया और छात्र संगठनों द्वारा आयोजित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के मद्देनजर, परिसर के सभी हितधारकों से सतर्क रहने और परिसर में शांति व सद्भाव बनाए रखने में योगदान देने की अपील की जाती है।’’ गौरतलब है कि दिसंबर 2019 में राष्ट्रीय राजधानी स्थित विश्वविद्यालय परिसरों में कुछ छात्रों ने सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) वापस लेने की मांग करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए थे।

    लोगों के साथ भेदभाव होता है, तो इसका विरोध करूंगी : ममता बनर्जी
    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर सीएए लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करता है, तो वह इसका विरोध करेंगी। सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के लिए संवेदनशील करार देते हुए बनर्जी ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहती हैं। राज्य सचिवालय में जल्दबाजी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बनर्जी ने कहा, ‘‘ऐसी खबरें हैं कि सीएए को अधिसूचित किया जाएगा। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हम लोगों के साथ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज का विरोध करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (केंद्र) नियम सामने आने दीजिए, फिर हम नियमों को पढ़ने के बाद इस मुद्दे पर बात करेंगे।’’

    गौतमबुद्धनगर जिला पुलिस अलर्ट पर
    सीएए लागू करने की अधिसूचना जारी होने के बाद गौतमबुद्धनगर पुलिस अलर्ट मोड पर है। तीनों जोन के पुलिस उपायुक्तों (डीसीपी) ने सोमवार शाम को पुलिसबल के साथ अलग-अलग जगहों पर पैदल मार्च किया। अधिकारियों ने बताया कि संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है तथा इन इलाकों में पुलिस ने गश्त बढ़ा दी है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में पुलिस सभी धर्म गुरुओं के साथ पहले ही बैठक कर चुकी है तथा कई जगह पर सादे कपड़ों में भी पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। नोएडा जोन के डीसीपी विद्या सागर मिश्रा ने बताया कि शहर के कई हिस्सों में ड्रोन कैमरे से भी निगरानी की जा रही है तथा शहर को ‘जोन’ और ‘सुपरजोन’ में बांटा गया है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए दो दल गठित किए गए हैं और अगर किसी ने माहौल खराब करने वाला वीडियो साझा किया और ऐसी टिप्पणी की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

    किन राज्यों में नागरिकता ले सकते हैं शरणार्थी?
    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 27 दिसंबर, 2023 को कहा था कि सीएए को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है। इस बीच, पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला अधिकारियों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्ति दी गई हैं

    गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक इन तीन देशों के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई। वे नौ राज्य जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारतीय नागरिकता दी जाती है उनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं। असम और पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है और सरकार ने इन दोनों राज्यों में से किसी भी जिले के अधिकारियों को अब तक नागरिकता प्रदान करने की शक्ति नहीं प्रदान की है।

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