रामेश्वर धाकड़
भोपाल। प्रदेश में खंडवा लोकसभा समेत तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के साथ ही अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। संभवत: दीपावली के बाद राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है। आयोग पंचायत चुनाव कराने की पूरी तैयारी कर चुका है। हाल ही में आयोग ने सभी जिलों के कलेक्टरों से चुनाव को लेकर दो बार वीडियो कॉफ्रेंसिंग की है। चुनाव आयोग के निर्देश पर अब जिलों में 3 साल से अधिक समय से पदस्थ अधिकारियों को हटाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त पंचायत चुनाव को लेकर अगले अहम बैठक करने वाले हैं। इसमें चुनाव से जुड़े फैसले लिए जाएंगे। साथ ही उपचुनाव से निपटे जिलों की तैयारियों की भी समीक्षा की जाएगी। वहीं सरकारी सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने भी निर्वाचन आयोग को पंचायत चुनाव कराने की हरी झंडी दे दी है। ऐेसे में यह सभावना है कि आयोग जल्द ही चुनाव की घोषणा कर सकता है। हालांकि आयोग की ओर से पंचायत चुनाव को लेकर किसी तरह की अधिकृत जानकारी जारी नहीं की है।
3.92 प्रतिनिधियों का होना है चुनाव
त्रि-स्तरीय पंचायत में जिला पंचायत, जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत आती हैं। तीनों पंचायतों में करीब 3 लाख 92 हजार प्रतिनिधियों का का निर्वाचन होता है। जिसमें 52 जिला पंचायतों के 854 सदस्य, 313 जनपदों के 8786 सदस्य, 22624 ग्राम पंचायतों के संरपच एवं 3 लाख 61 हजार से ज्यादा पंच पदों के लिए चुनाव होना है। पूरे प्रदेश में पंचायत चुनाव एक साथ होंगे, लेकिन अगल-अलग चरणों में होंगे।
दीपावली बाद होगा बड़ा प्रशासनिक फेरबदल
पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य शासन को पत्र लिखकर जिलों में 3 साल से अधिक समय से पदस्थ अधिकारियों को हटाने के निर्देश दिए हैं। आयोग के पत्र के आधार पर पीएचक्यू, वन विभाग, राजस्व एवं अन्य विभागों ने तबादले की तैयारी कर ली है। जिसमें तहसीलदार, नायब तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर, एसपी, एसडीओपी, एएसपी, डीएसपी, वन विभाग एवं अन्य विभाग के अधिकारी, जो 3 साल से अधिक समय से पदस्थ हैं, उन्हें जिले से बाहर किया जाएगा।
तत्काल चुनाव चाहती है सरकार
सरकारी सूत्रों ने बताया कि उपचुनाव के बाद राज्य सरकार अब प्रदेश में तत्काल पंचायत चुनाव कराना चाहती है। इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि पंचायत चुनाव किसी राजनीतिक दल के सिंबल पर नहीं होते हैं। ऐसे में यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि जनता का मूढ़ किस दल के साथ है। साथ ही पंचायत चुनाव में नेता भी व्यस्त हो जाते हैं। जिससे सरकार पर निगम-मंडल एवं प्राधिकरणों में नियुक्ति का दबाव भी कुछ महीने के लिए नहीं रहेगा। नेता पंचायत चुनाव में अपने समर्थकों को जिताने के लिए व्यस्त हो जाएंगे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved