स्टॉकहोम: ईरान (Iran) और स्वीडन (Sweden) के बीच शनिवार को कैदियों की अदलाबदली हुई, जिसके तहत तेहरान (Tehran) ने यूरोपीय संघ के एक राजनयिक (Diplomat) समेत दो व्यक्तियों को रिहा किया, जबकि इसके बदले उस ईरानी (Iranian) कैदी को रिहा किया गया, जिसे वर्ष 1988 में इस्लामी गणराज्य में सामूहिक फांसी दिये जाने की घटना में शामिल होने पर स्टॉकहोम में युद्घ अपराध का दोषी ठहराया गया था। वर्ष 2019 में स्वीडन द्वारा हामिद नूरी की गिरफ्तारी तब की गई थी जब वह एक पर्यटक के रूप में वहां गया था। संभवतः इसी के बाद ईरान में स्वीडन के दो निवासियों को हिरासत में ले लिया।
वर्ष 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान द्वारा लंबे समय से अपनाई जा रही उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत वह पश्चिमी देशों से वार्ता में विदेश में संबंध रखने वालों को मोहरे के रूप में इस्तेमाल करता है। ईरान के सरकारी टेलीविजन ने बिना किसी सबूत के दावा किया कि नूरी को ‘अवैध’ रूप से हिरासत में लिया गया था। स्वीडिश प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने राजनयिक जोहान फ्लोडेरस और सईद अजीजी के साथ हिरासत के दौरान किये गये व्यवहार को ‘पृथ्वी के नर्क’ के रूप में वर्णित किया।
ईरान ने बनाया स्वीडिश नागरिकों को मोहरा
क्रिस्टर्सन ने कहा, ‘ईरान ने स्वीडन से ईरानी नागरिक हामिद नूरी को रिहा कराने के उद्देश्य से एक सनकपूर्ण वार्ता के लिए इन स्वीडिश लोगों को मोहरा बनाया है।’ उन्होंने कहा कि यह पहले से ही स्पष्ट था कि इस ‘ऑपरेशन’ के लिए कठिन निर्णयों की आवश्यकता होगी, अब सरकार ने वे निर्णय लिये हैं। सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया कि अरब प्रायद्वीप के पूर्वी किनारे पर स्थित ओमान (सल्तनत) ने रिहाई कराने में मध्यस्थता की। ओमान लंबे समय से ईरान और पश्चिमी देशों के बीच वार्ताकार के रूप में काम करता रहा है।
वर्ष 2022 में स्टॉकहोम जिला अदालत ने हत्या में उसकी भूमिका के लिए नूरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वर्ष 1988 में सामूहिक फांसी इराक के साथ ईरान के लंबे युद्ध के अंत में दी गई थी। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों का अनुमान है कि कम से कम 5,000 लोगों को फांसी दी गई थी। यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिक जोसेप बोरेल ने दोनों व्यक्तियों की रिहाई की प्रशंसा की है।
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