- तेजी से काम कर रहा है पुनर्गठन आयोग, छोटी तहसीलों को मिल रहा दर्जा, परिसीमन के बाद छिन सकती हैं उम्मीदें, आंदोलन समिति की चुप्पी पर सवाल
विवेक उपाध्याय, जबलपुर। खबर है कि मध्य प्रदेश के नक्शे में जल्दी ही तीन नए जिले आकार ले सकते हैं, लेकिन ये भी तय है कि इन तीन नए नामों में सिहोरा का दूर-दूर तक जिक्र नहीं है। ये खबर उन आंदोलनकारियों के लिए बड़ा झटका है, जिन्होंने सिहोरा को जिला बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया। हालाकि,सरकार की ओर से आश्वासनों की कभी कोई कमी नहीं रही, लेकिन जमीन पर कुछ भी नहीं उतर सका। हैरत की बात ये है कि सिहोरा को जिला बनाने की मांग उठने के बाद राज्य सरकार आधा दर्जन से ज्यादा नए जिले बना चुकी है पर सिहोरा के नाम पर गहरी चुप्पी है।
- ये होंगे तीन नए जिले
राज्य सरकार ने तय किया है कि तीन तहसीलों को जिला बनाया जाएगा। इनमें बीना, सिरोंज और पिपरिया का नाम शामिल है। उल्लेखनीय है कि बीना को जिला बनाने की शर्त पर ही विधायक निर्मला सप्रे ने बीजेपी ज्वाइन की थी। इस नए जिले में खुरई, बीना, मालथौन, कुरवाई, पठारी, बांदरी आदि को इसमें शामिल किया जा सकता है। विदिशा जिले की सिरोंज तहसील का जिला बनना भी लगभग तय है। जिला बनने के बाद यहां के लोगों प्रशासनिक कार्यों के लिए विदिशा तक नहीं आना पड़ेगा। इसके बाद तीसरे नंबर पर नर्मदापुरम से अलग करके पिपरिया को जिला बनाया जा सकता है। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान पिपरिया को जिला बनाने की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन और हड़ताल भी की गई थी। - …तो फिर सिहोरा क्यों नहीं
करीब 21 साल पहले सिहोरा को जिला बनाने की मांग उठी थी। ये मान लिया जाए कि उस समय ये मांग तथ्यपरक नहीं थी,लेकिन आज की स्थिति में ऐसा नहीं है। जिन तीन तहसीलों को जिला बनाने का प्रस्ताव है,उनकी स्थितियां सिहोरा से बहुत अलग नहीं हैं। लेकिन इसके बावजूद सिहोरा को जिले का दर्जा देने में आनाकानी क्यों की जा रही है,ये समझ से परे है। हालाकि, ये भी कभी स्पष्ट नहीं किया गया कि आखिर सिहोरा को नया जिला बनान इतना मुश्किल क्यों है। जानकार इसे राजनीतिक परिदृश्य से जोड़ते हैं और काफी हद तक ये सही भी है। - फिर नहीं बन पाएगा जिला
जानकारों का दावा है कि निकट भविष्य में प्रस्तावित परिसीमन में यदि सिहोरा को दो टुकड़ों में बांटकर इधर-उधर कर दिया गया तो शायद सिहोरा कभी जिला नहीं बन पाएगा और ताजा हालातों को देखकर लगता है कि शायद ऐसा ही होने वाला है। विधानसभा चुनाव के वक्त तेजी से आंदोलन के मैदान में कूदे संगठनों ने पता नहीं क्यों अचानक चुप्पी साध ली है। भाजपा के विधायक संतोष बरकड़े से सिहोरावासियों को बेहद उम्मीदें हैं,लेकिन अब तक कोई रोशनी इस ओर से दिखाई नहीं दे रही है,जिससे इस सपने पर कुठाराघात होता हुआ दिखाई दे रहा है। - संघर्ष का इतिहास
सिहोरा को जिला बनाने के लिए 2003 से लेकर आंदोलन समिति का संघर्ष जारी है। साल 2023 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सिहोरा के अपने दौरे के वक्त आश्वस्त किया था कि अगर 2023 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आती है तो निश्चित रूप से सिहोरा को जिला बनाया जाएगा। लेकिन, सरकार भाजपा की आ गयी। हालाकि, भाजपा ने भी सिहोरा को जिला बनाने का वादा किया था। एक अक्टूबर 2003 को सिहोरा में कलेक्टर एसपी की पदस्थापना प्रस्तावित की गई थी, लेकिन राजनीतिक अड़ंगे के कारण ऐसा नहीं हो सका।