इंदौर। इंदौर आने वाले मेहमानों के लिए रालामंडल अभयारण्य निखरकर हर दिन नया रूप लेता जा रहा है। अब तक वहां जीवाश्म पार्क, शिकारगाह के साथ ही कुलांचे भरते हिरण जहां नजर आते हैं, वहीं इसी पहाड़ी पर डेढ़ एकड़ में बटरफ्लाय, यानी तितलियों का पार्क बनकर तैयार हो चुका है, जहां तितलियों के आते ही पर्यटकों के लिए रंग-बिरंगी उड़ती तितलियां मन मोहती रहेंगी। हालांकि तितलियों के इंतजार में इसे पर्यटकों के लिए शुरू नहीं किया गया है। अधिकारियों के अनुसार रालामंडल अभयारण्य की पहाड़ी पर वैसे तो 50 से ज्यादा प्रजातियों की तितलियां मौजूद हैं, मगर इस पार्क को तितलियों ने अपना ठिकाना नहीं बनाया है।
तितलियों के जानकारों का कहना है कि तितलियों का मनपसंद मौसम बारिश से लेकर ठंड तक रहता है। उम्मीद है कि सितम्बर माह तक तितलियां अपने इस नए ठिकाने, यानी इस पार्क को अपना बसेरा समझने या अपनाने लगेंगी। रालामंडल में तितली पार्क की योजना पर 2022 से काम शुरू हुआ था । इसके लिए उद्योगपति गौतम अडानी ने सीएसआर फंड से 5 लाख रुपए दिए हैं। बाकी 5 लाख रुपए वन विभाग ने खर्च किये हंै।
सिर्फ 360 घंटों की जिंदगी होती है तितलियों की
तितलियों का जीवन बहुत ही कम होता है। यह अधिकतम 15 दिनों में अपनी पूरी जिंदगी जी लेती हैं। महज 360 घंटों में यह अंडे भी दे देती हैं, यानी अपनी नई पीढ़ी तैयार कर देती हैं और इस दुनिया से रुखसत हो जाती हैं।
अपनी शर्तों पर जीवन जीती है
यह तितलियां अपनी शर्तों पर, यानी मनपसंद के हिसाब से जीवन जीती हैं। यह उसी पौधे पर बसेरा करती हैं या वहीं पर अंडे देती हैं, जिस पौधे का रंग और खुशबू इन्हें पसंद होती है। इसी प्रकार उसी पौधे से भोजन ग्रहण करती हैं, जिसकी महक इन्हें भाती, यानी पसंद होती है।
अभयारण्य में 50 से जयादा प्रजाति की तितलियां
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से तितलियों पर शोध अनुसंधान कर रहीं वसुमित्र एनजीओ की ग्रीष्मा त्रिवेदी के अनुसार देशभर में लगभग 1500, इंदौर में लगभग 80 और रालामंडल अभयारण्य में 50 से ज्यादा प्रजाति की तितलियां मौजूद हैं। इन्हीं तितलियों के लिए तितली पार्क बनाया गया है। 50 से ज्यादा प्रजाति की तितलियों में जो प्रमुख तितलियां शामिल हैं वह हैं ग्रास येलो, टेल्ड जय, कॉमन जय, कॉमन कैस्टर, यलो पैन्सी, चॉकलेट पैन्सी, कॉमन जेजबेल, टॉनी कोस्टर, पायोनियर, पिकॉक पैन्सी, ब्लू टाइगर, प्लेन टाइगर, मॉटल्ड इमिग्रेंट, कॉमन इमिग्रेंट, स्ट्राइप्ड टाइगर, कॉमन लियोपोर्ड।
तितली पार्क में हैं पचास प्रजाति से ज्यादा पेड़-पौधे
तितली पार्क में 50 से ज्यादा प्रजाति के पेड़-पौधे लगाए गए हैं। सभी प्रकार के मौसमी फूलों के पौधों के अलावा कढ़ीपत्ता, नींबू प्रजाति के पेड़, पाम, हरसिंगार, पत्थरचट्टा, अमलतास, पीलू, करील, बरना, बेल, नीम, शहतूत, जामुन, पीपल, फाइकस, कॉसमॉस, मैरीगोल्ड, सूरजमुखी, बसंत मालती, गेंदा, ट्यूलिप, रेड सिल्क कॉटन।
बहुत ही रोमांचक है तितलियों का संसार
पार्क में तितलियों के लिए 2 प्रकार के पौधों की आवश्यकता होती है। पहला लार्वल होस्ट प्लांट, दूसरा फूड नेक्टर प्लांट। इन 2 प्रकार के पौधों में से लार्वल होस्ट प्लांट वाले पौधों में यह निवास करतीं व यहीं अंडे देती हैं। फूड नेक्टर प्लांट वाले पौधों से यह भोजन ग्रहण करती हैं।
नर तितली से बड़ी होती है मादा
नर तितली की अपेक्षा मादा तितली बड़ी होती है। नारंगी, यानी केसरिया रंग की मेल तितली की साइज जहां 130 एमएम से 150 एमएम होती है, वहीं गहरे भूरे रंग वाली फीमेल तितली की साइज 160 एमएम से 190 एमएम होती है। सबसे छोटी तितली ग्रास ज्वेल और सबसे बड़ी तितली गोल्डन बर्ड विंग होती है। इनके पंखों की साइज 14 से 20 एमएम होती है।
रालामंडल अभयारण्य में 50 से अधिक प्रजाति वाली तितलियां मौजूद हैं। इन सबको एक ही जगह पर बसाने के लिए ही तितली पार्क तैयार किया गया है। नवनिर्मित इस पार्क को अब बस तितलियों के आने का इंतजार है। उम्मीद है कि सितम्बर तक यह पार्क तितलियों से आबाद हो जाएगा। इसके बाद इसका लोकार्पण करा दिया जाएगा।
योगेश यादव, फारेस्ट रेंजर अधिकारी, रालामंडल अभयारण्य
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