इन्दौर। कोरोना वायरस की आड़ में शहर में शुरू हुई मंडियों को व्यापारियों ने बंद करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। चोइथराम के अलावा शहर में पांच स्थानों पर अस्थायी मंडियों का संचालन हो रहा है। इससे मंडी के व्यापारियों को तो नुकसान हो ही रहा है, वहीं शासन को भी राजस्व का घाटा उठाना पड़ रहा है।
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते चोइथराम मंडी कई महीनों तक बंद रही थी और बाद में जिला प्रशासन ने यहां थोक व्यवसाय की अनुमति के साथ इसे शुरू करने का निर्देश दिया था। यहां खेरची व्यवसाय पर अभी भी प्रतिबंध लगा हुआ है, मगर बाले-बाले ही यहां खेरची व्यवसाय भी शुरू हो गया है। इधर चोइथराम मंडी बंद हुई थी, तब उसकी आड़ में जगह-जगह अस्थायी मंडियों का संचालन शुरू हो गया था। चोइथराम मंडी के बाहर राजीव गांधी सर्कल के अलावा मंडी के बाहर सर्विस रोड पर भी बड़ी संख्या में सब्जी और फलों के ठेले लग गए थे, जो अभी भी लगे हुए हैं। इधर मंडी के बड़े व्यापारियों ने मंडी प्रशासन से आग्रह किया है कि अब कोरोना वायरस की स्थिति सामान्य है, लिहाजा अस्थायी मंडियों को बंद कर दिया जाए, क्योंकि इन मंडियों में बड़ी संख्या में आसपास के किसान अपनी उपज लेकर आ रहे हैं और यहां मंडी का नाका न होने के कारण शासन को टैक्स भी नहीं दिया जा रहा है, जिससे शासन को हर दिन लाखों रुपए राजस्व का फटका सहना पड़ रहा है।
इन स्थानों पर हो रहा संचालन
मंडी के व्यापारियों ने मंडी प्रशासन को एक सूची भी सौंपी है, जिसमें उन स्थानों का जिक्र किया है, जहां अस्थायी मंडियों का संचालन हो रहा है। इनमें अरबिन्दो हॉस्पिटल के आगे सांवेर रोड, वैष्णव कालेज की सड़क, तेजाजी नगर, बेटमा, निरंजनपुर, महू नाका और राजमोहल्ला का एक क्षेत्र शामिल है। यहां प्रतिदिन लाखों रुपए का सब्जी और फलों का व्यवसाय हो रहा है और शासन को बिना टैक्स चुकाए यहां काम किया जा रहा है।
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