– व्यापारियों ने चीनी उत्पादों का किया बहिष्कार, भारतीय वस्तुओं की जबरदस्त मांग
नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) भारत (India) में व्यापक और धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। देशभर में इस त्योहार को हर साल की तहर इस बार भी अभूतपूर्व उत्साह (Unprecedented enthusiasm.) के साथ मनाने की तैयारी चल रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders(CAIT). ने इस बार त्योहार के दौरान 25 हजार करोड़ रुपये (Rs 25 thousand crores) से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है जताई है, जिसमें भारतीय व्यापारियों ने पूरी तरह से चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि गणेश चतुर्थी की वजह से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा जैसे क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि तेज हो जाती है। वहीं, कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि इन राज्यों में स्थानीय व्यापारियों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के बाद यह जानकारी मिली है कि लगभग 20 लाख से अधिक गणेश पंडाल लगाए गए हैं। यदि प्रत्येक पंडाल पर न्यूनतम 50 हजार रुपये का खर्च भी माना जाए तो यह आंकड़ा 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाता है। भरतिया ने बताया कि अकेले महाराष्ट्र में 7 लाख से अधिक पंडाल लगाए गए हैं, इसके बाद कर्नाटक में 5 लाख, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में 2 लाख प्रत्येक और शेष 2 लाख पूरे देश में हैं।
सांसद खंडेलवाल ने कहा कि पंडालों पर खर्च की गई राशि के अलावा त्योहार के इर्द-गिर्द बना व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र कई उद्योगों और स्थानीय व्यवसायों को भी शामिल करता है। उन्होंने कहा कि केवल गणेश प्रतिमाओं का व्यापार 500 करोड़ रुपये से अधिक का होता है। इसके अलावा फूल, माला, फल, नारियल, धूप और अन्य पूजन सामग्री की बड़े पैमाने पर बिक्री होती है, जिसकी कुल राशि 500 करोड़ रुपये के करीब होती है। खंडेलवाल ने कहा कि मुख्य रूप से मोदक, जो भगवान गणेश से जुड़े मीठे पकवान हैं, इसकी मांग में वृद्धि होती है। मिठाई की दुकानों और घरेलू व्यवसायों की बिक्री 2000 करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि देखी जाती है। इसके अलावा, परिवारों द्वारा बड़े समारोहों और भोजन के आयोजन के कारण कैटरिंग और स्नैक व्यवसायों में लगभग 3000 करोड़ रुपये का व्यापार होता है।
बीसी भरतिया ने आगे कहा कि पर्यटन और परिवहन व्यवसाय को भी बड़ा बढ़ावा मिलता है, क्योंकि गणेश चतुर्थी के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से भक्त आकर्षित होते हैं, जिससे स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। यात्रा कंपनियों, होटलों और परिवहन सेवाओं (जैसे बस, टैक्सी, ट्रेन) की मांग में वृद्धि देखी जाती है, जिसका कारोबार 2000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। रिटेल और मर्चेंडाइज की बात करें तो त्योहार से संबंधित वस्त्र, आभूषण, घर की सजावट और उपहार वस्तुओं की बिक्री भी 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
कैट महामंत्री खंडेलवाल ने कहा कि कचरा प्रबंधन और पर्यावरणीय सेवाओं को भी बड़ा बढ़ावा मिलता है। पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ, कचरा प्रबंधन व्यवसायों की मांग में वृद्धि देखी जाती है, जैसे कृत्रिम टैंकों में मूर्ति विसर्जन और सजावटी सामग्रियों का पुनर्चक्रण। बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आयोजनों के आयोजन से इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को भी व्यापार में बढ़ावा मिलता है। वे लॉजिस्टिक्स, सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय जैसे कार्यों को संभालते हैं, यह क्षेत्र लगभग 5000 करोड़ रुपये का योगदान कर सकता है।
खंडेलवाल ने कहा कि रक्षाबंधन से शुरू हुआ त्योहारों का यह सीजन गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दशहरा, करवा चौथ, दिपावली, छठ पूजा और इसके बाद के विवाह सीजन तक जारी रहेगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को एक तेज गति वाली यात्रा पर ले जाएगा। इससे सनातन अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान होगा। गौरतलब है कि यह फेस्टिव सीजन कारोबारियों के लिए शानदार होने जा रहा है। क्योंकि रक्षाबंधन और जन्माष्टमी पर भी कारोबार के पुराने कई रिकॉर्ड टूटे थे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved