भोपाल। सीधी जिले की नहर में बस डूबने से 51 यात्रियों की मौत होने की घटना के बाद कई विभागों में अलर्ट जारी है। इस घटना के बाद सबसे बड़ा कदम परिवहन विभाग उठा रहा है। जिन नहरों के किनारे की सड़कों पर यात्रियों के लिए बसें दौड़ रही हैं, उन सभी बसों को बंद कर दिया जाएगा। इसके लिए नहर किनारे की सड़कों पर बसों को परमिट ही नहीं दिए जाएंगे और पुराने परमिटों को निरस्त कर दिया जाएगा। सीधी घटना के बाद परिवहन विभाग के कमिश्नर ने यह आदेश मुरैना सहित प्रदेश के उन सभी जिलों के आरटीओ को दिए हैं। इसके बाद आरटीओ ने उन सभी रूटों की लिस्ट बनाना शुरू कर दिया है, जहां नहर किनारे की सड़कों पर परमिट लेकर बसें दौड़ रही हैं।
सिंचाई विभाग की सड़कों पर भी बसों का परमिट
प्रदेश के कई जिलों में नहरों के किनारे की सड़कों पर बसों का संचालन किया जा रहा है। कई ऐसे मार्ग हैं, जहां सिंचाई विभाग की सड़कों पर भी बसों का परमिट दे दिए गए हैं। अब नहरों किनारे दौड़ रही बसों के परमिट भी निरस्त किए जाएंगे और उन रूटों पर आगे किसी भी बस को नए परमिट भी जारी नहीं किए जाएंगे।
छोटे यात्री वाहनों में सफर पड़ेगा जेब पर भारी
परिवहन विभाग की प्लानिंग के अनुसार नहर किनारे की सड़कों से बसों के यात्री परमिट रद्द करके छोटे सवारी वाहनों को यात्री परमिट दिए जाएंगे। इनमें मैजिक, छोटा हाथी जैसे वाहन होंगे, लेकिन इन छोटे वाहनों में सफर करना यात्रियों की जेब पर भारी पड़ेगा। क्योंकि बस की तुलना में छोटे वाहनों का किराया दोगुना तक होता है।
पीडब्ल्यूडी ने मानक से नहीं बनाई नहर की सड़कें
नहर किनारे की सड़कें तीन विभाग सिंचाई, पीडब्ल्यूडी एवं पीएमजीएसवाय की होती है। अधिकांश सड़कें सिंचाई विभाग की हैं, जो यातायात के लिए नहीं होतीं। सिंचाई विभाग इन सड़कों का निर्माण नहरों के निरीक्षण, टूट-फूट होने पर तत्काल मरम्मत का काम शुरू हो, इसलिए करवाता है। इन सड़कों पर भी सवारी वाहन दौड़ते हैं। नहर किनारे की कुछ सड़कें पीडब्ल्यूडी व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाय) ने बनाई हैं, जो सभी वाहनों के लिए होती हैं। पर पीडब्ल्यूडी ने भी नहर किनारे की जो-जो सड़कें बनाई हैं वहां सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा। नहर किनारे बनने वाली सड़कों में मुरम या मिट्टी की एक दीवार (डोम) बनाई जाती है। यह डोम नहर किनारे के पास बनती है, जिससे कभी किसी वाहन के ब्रेक फेल हुए या अन्य खराब होने पर वाहन नहर में नहीं जा सके। मुरम की यह डेढ़ फीट ऊंची और डेढ़ फीट मोटी डोम किसी भी वाहन के पहिए रोकने के लिए सक्षम होती है। लेकिन अधिकांश नहरों के किनारे ऐसे डोम बने ही नहीं है।
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