बेटमा, देपालपुर और गौतमपुरा के गांव में जलती पराली के कण उड़-उडक़र शहर के घरों तक पहुंचे
इंदौर। दिल्ली (Delhi) और पंजाब (Punjab) के कई शहरो में पराली (stubble) जलने (Burning) से बढ़े प्रदूषण का शिकार मध्यप्रदेश (MP) के शहर और गांव भी होने जा रहे हैं। फसल कटने के बाद किसानों द्वारा पराली जलाने के चलते शहरों का प्रदूषण बिगडऩे लगता है। इस मौसम में दमा और अस्थमा के मरीज बेहद परेशान हो जाते हैं। इंदौर के निकटस्थ गांवों में जलने वाली पराली को रोकने के लिए कृषि विभाग से लेकर प्रदूषण विभाग तक कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
पराली जलाने से धुएं के कण हवा में हो जाते हैं शामिल… दमा, अस्थमा की बढ़ती हैं बीमारियां
एग्रीकल्चर विभाग द्वारा बार-बार समझाने के बावजूद गेहंू कटते ही पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। जबकि पराली जलाने से इसके धुएं और हवा में शामिल 2.5 एमएम के पार्टिकल कण स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं और दमा, अस्थमा से लेकर फेफड़े सम्बन्धित बीमारियों की खतरनाक वजह बन जाते हैं। इसके बावजूद पराली जाने पर किसी के भी खिलाफ आज तक कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इंदौर के वरिष्ठ क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी का कहना है कि पराली जलाने से सिर्फ गांव -शहर की आबोहवा और पर्यावरण को ही नहीं, बल्कि किसानों को भी बहुत नुकसान होता है। पराली के जलने से इससे कृषि भूमि की फसल पैदा करने की उर्वराशक्ति कमजोर होने लगती है।
फसल पैदा करने की क्षमता कमजोर हो जाती है
पराली में पराली में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर और कार्बन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो जलने के कारण नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा जमीन में छोटे जीव-जंतु और केंचुए जल जाते हैं। इतना ही नहीं, पराली जलाने से जमीन कठोर हो जाती है। जमीन से पानी सोंखने की क्षमता कमजोर होने के कारण फसलें जल्दी सूखने लगती हैं। इस तथ्य से अनजान किसान अपने खेतों में पराली जलाकर अपनी ही जमीन की सिंचित क्षमता का नुकसान कर रहे हैं। पराली जलाने को वे खाद का स्वरूप मानते हैं, लेकिन उलटा वह खेती की जमीन के लिए नुकसानदायक साबित होती है।
पराली से बढ़ सकती है किसानों की आमदनी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्विवेदी ने बताया कि किसान अगर चाहें तो पराली बेचकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। इसके लिए किसानों को पंचायतों और चौपालों के माध्यम से जागरूक करने की जरूरत है। उस मामले में कृषि ( एग्रीकल्चर) विभाग दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ की तरह अहम भूमिका निभा सकता है। यहां के किसान भी पहले पराली जलाते थे, मगर अब वह पराली बेचकर हर साल अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं, क्योकि अब उद्योगपति प्रोडक्ट बनाने के लिए किसानों की पराली खरीदने लगे हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved