इंदौर। निगम परिषद् सम्मेलन में जहां एक-दूसरे पर कटाक्ष जमकर किए गए, वहीं शहर से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा हो हल्ले के बीच कम ही हुई। बावजूद इसके कुत्तों की नसबंदी का मुद्दा जरूर उठा, जिसमें निगम की ओर से लगभग 14 करोड़ रुपए की राशि अब तक खर्च करना बताई गई। मगर पार्षदों ने आरोप लगाया कि बावजूद इसके जनता आवारा कुत्तों की समस्या से परेशान है और कुत्तों द्वारा काटे जाने के प्रकरण भी शहरभर में लगातार बढ़ गए हैं। अधिकांश टाउनशिप-कालोनियों के रहवासी इस समस्या से परेशान हैं। निगम ने दो एनजीओ फर्म को कुत्तों की नसबंदी का जिम्मा सौंप रखा है।
परिषद् सम्मेलन में दो घंटे से अधिक समय तक चले प्रश्नकाल में सभापति मुन्नालाल यादव ने पक्ष-विपक्ष दोनों को बोलने का भरपूर मौका दिया। मगर बीच-बीच में टोका-टाकी और हो-हल्ले के कारण जनसमस्याओं पर तार्किक चर्चा व बहस नहीं हो सकी। तो सत्ता पक्ष की ओर से बहुमत का रुआब भी दिखाया जाता रहा। जनकार्य समिति प्रभारी राजेन्द्र राठौर ने करोड़ों की सडक़ निर्माण का लेखा-जोखा का प्रस्तुत किया, तो नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने भी बखूबी मोर्चा संभाला और अधिकांश प्रस्तावों का तो समर्थन किया, साथ ही सुझाव भी दिए।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी हुकुमचंद मिल सहित अन्य मुद्दों पर हुए निर्णय के चलते सम्मेलन को एतिहासिक बताया, तो राजेश उदावत, मनीष मामा, नंदू पहाडिय़ा, अश्विनी शुक्ल, जीतू यादव सहित अन्य सदस्यों ने भी अपने विभागों की योजनाओं का बखान किया, तो सुरेश कुरवाड़े ने बेबाकी से 29 गांवों की समस्याएं रेखांकित की। वहीं कांग्रेस पार्षद श्रीमती फौजिया शेख अलीम ने कुत्तों की नसबंदी का मुद्दा उठाया, जिसमें आरोप लगाया गया कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी जनता को निजात नहीं मिल सकी। इसके जवाब स्वास्थ्य प्रभारी अश्विनी शुक्ला ने बताया कि 2014 से आवारा कुत्तों की नसबंदी का जिम्मा अनुबंधित दो फर्मों वेट्स सोसायटी फॉर एनिमल हैदराबाद और रेडिक्स इन्फॉर्मेशन सोशल एज्युकेशन सोसायटी देवास द्वारा किया जा रहा है। 925 रुपए प्रति श्वान नसबंदी व टीकाकरण का कार्य किया जाता है और अप्रैल 2014 से अभी तक 13 करोड़ 88 लाख 44 हजार रुपए की राशि का भुगतान इन दोनों फर्मों को किया भी जा चुका है।
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