इंदौर (Indore)। बुरहानी गृह निर्माण संस्था की 200 करोड़ से अधिक की जमीनी डील के खेल का खुलासा कल अग्निबाण ने किया था, जिसकी शिकायत पीएमओ तक पहुंची और इस मामले में भाजपा के एक पदाधिकारी पर आरोप लगे हैं। सत्ता-संगठन के गलियारों में यह खबर कल चर्चा का विषय रही। साथ ही व्हाट्सएप ग्रुप पर भी ये खबर खूब शेयर की गई और कांग्रेस के अलावा भाजपा-संघ से जुड़े नेताओं ने भी चुटकी ली और अपने कयास भी लगाए और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां भी बताई। प्राधिकरण की योजना 97 पार्ट-4 और 2 में संस्था की 18.20 एकड़ जमीन शामिल है और मजे की बात यह है कि 44 साल से इस जमीन का विवाद चल रहा है। मूल रूप से मतकर परिवार की इस जमीन का सौदा एक अन्य गृह निर्माण छत्रपति संस्था से भी किया गया और कुछ दिनों पूर्व इंदौर के एक रियल इस्टेट समूह के साथ छत्रपति के अनुबंध की भी बात सामने आई है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुरहानी संस्था सहित अन्य की दायर याचिकाओं पर फैसला देते हुए जमीन का मालिक प्राधिकरण को ही बताया। यानी जमीन योजना से मुक्त नहीं की। इसके बाद प्राधिकरण ने इस जमीन का सर्वे भी शुरू करवा दिया। दरअसल तेजपुर गड़बड़ी, बिजलपुर, हुकमाखेड़ी और पिपल्याराव में प्राधिकरण ने 1979 में योजना 97 घोषित की थी, जिसमें तेजपुर गड़बड़ी के सर्वे नंबर 328 से लेकर 331 और 344 तक की 18.20 एकड़ जमीन बुरहानी गृह निर्माण के अलावा छत्रपति गृह निर्माण के नाम पर भी दर्ज रही और इन दोनों ही संस्थाओं ने प्राधिकरण के समक्ष आपत्तियां दर्ज कराई। दरअसल इस जमीन के मूल भूमि स्वामी मतकर परिवार ने जहां एक तरहफ बुरहानी गृह निर्माण से अनुबंध कर रखा था, तो दूसरी तरफ छत्रपति से भी अनुबंध कर लिया। इसके चलते प्राधिकरण में मतकर परिवार ने भी अपनी आपत्ति लगाई।
प्राधिकरण के रिकॉर्ड बताते हैं कि 44 साल पुराना यह मामला है। दरअसल रिंग रोड बनाने के लिए प्राधिकरण ने यह योजना घोषित की थी, जिसमें अधिकांश जमीनें अधिग्रहित होकर बिक भी गई है। वहीं कुछ जमीनों के प्रकरण कोर्ट-कचहरी में चलते रहे। जबकि इन जमीनों के संबंध में भू-अर्जन की कार्रवाई भी हो चुकी है और 06.03.1991 को अवॉर्ड भी पारित किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि बोहरा समाज के धर्मगुरु सैयदना साहब तक बुरहानी संस्था की जमीन का मामला पहुंचा और सूत्रों का कहना है कि उन्होंने इसकी जानकारी पीएमओ को दी। इसके बाद भाजपा और संघ के उच्च स्तरीय सूत्रों ने इस मामले की पड़ताल शुरू की और कल जब खबर का प्रकाशन हुआ तो उसके बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बनी रही।
सुपर कॉरिडोर पर एनआरआई की जमीन का विवाद भी पहुंचा था पीएमओ
इंदौर में जमीनों से जुुड़े विवाद नए नहीं हैं और इसकी हलचल भोपाल से लेकर दिल्ली तक होती रही है। दरअसल कांग्रेस हो या भाजपा, सारे नेता जमीनों के खेल से जुड़े हैं। कल अग्निबाण की खबर जब व्हाट्सएप ग्रुप पर चली तो कई नेताओं ने उस पर ना सिर्फ टिप्पणियां ही नहीं की बल्कि कुछ नई जानकारियां शेयर की। एक नेता ने बताया कि इसी तरह का विवाद कुछ समय पूर्व सुपर कॉरिडोर की एनआरआई की जमीन का सामने आया था, जिसकी शिकायत एम्बेसी के साथ पीएमओ में भी हुई और फिर बाद में भाजपा के बड़े नेता को फटकार भी पड़ी और उन्हें इस मामले से पीछे हटना पड़ा।
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